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पुंसरी: एक गांव जो स्मार्ट सिटी से भी आगे निकल गया

ByBinod Anand

Jun 4, 2025

जब श्री हिमांशु पटेल ने पुंसरी की बागडोर संभाली, तो यह अन्य भारतीय गांवों जैसा ही था – सीमित बुनियादी सुविधाएं, पारंपरिक जीवनशैली और विकास की धीमी गति. लेकिन हिमांशु भाई का सपना बड़ा था. उन्होंने सिर्फ गांव को बेहतर बनाने का नहीं, बल्कि उसे एक ऐसे मॉडल के रूप में स्थापित करने का सपना देखा, जिसकी कल्पना आमतौर पर एक आधुनिक, स्मार्ट शहर में की जाती है.

से दस साल पहले, गुजरात के साबरकांठा जिले में स्थित पुंसरी गांव भारत के लिए एक रोल मॉडल बन चुका था. उस समय, यह सिर्फ एक गांव नहीं था, बल्कि एक ऐसा जीता-जागता उदाहरण था कि कैसे सही नेतृत्व और दूरदृष्टि के साथ ग्रामीण भारत भी आधुनिक सुविधाओं और प्रगति का प्रतीक बन सकता है. इस असाधारण परिवर्तन के पीछे तत्कालीन सरपंच, श्री हिमांशु पटेल (जिन्हें हिमांशु पुंसरी के नाम से भी जाना जाता है) का अटूट समर्पण और अभिनव सोच थी.

एक साधारण गांव की असाधारण यात्रा

जब श्री हिमांशु पटेल ने पुंसरी की बागडोर संभाली, तो यह अन्य भारतीय गांवों जैसा ही था – सीमित बुनियादी सुविधाएं, पारंपरिक जीवनशैली और विकास की धीमी गति. लेकिन हिमांशु भाई का सपना बड़ा था. उन्होंने सिर्फ गांव को बेहतर बनाने का नहीं, बल्कि उसे एक ऐसे मॉडल के रूप में स्थापित करने का सपना देखा, जिसकी कल्पना आमतौर पर एक आधुनिक, स्मार्ट शहर में की जाती है.

बुनियादी सुविधाओं से आगे का सफर

सबसे पहले, हिमांशु भाई ने गांव की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने सुनिश्चित किया कि हर घर में 24 घंटे बिजली, स्वच्छ पेयजल, पक्की सड़कें और उचित स्वच्छता सुविधाएं उपलब्ध हों. यह उस समय एक बड़ी उपलब्धि थी, जब देश के कई हिस्सों में गांवों को इन बुनियादी चीजों के लिए भी संघर्ष करना पड़ता था. लेकिन हिमांशु भाई यहीं नहीं रुके. उन्होंने समझा कि असली विकास केवल बुनियादी सुविधाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि भविष्य की जरूरतों को पूरा करने और ग्रामीणों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने में निहित है.

तकनीक और नवाचार का समावेश

जो बात पुंसरी को अन्य गांवों से अलग करती थी, वह थी तकनीक और नवाचार को अपनाने की उसकी क्षमता. हिमांशु भाई ने गांव में इंटरनेट कनेक्टिविटी की शुरुआत की. उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि हर घर में वाई-फाई उपलब्ध हो, जिससे ग्रामीण डिजिटल दुनिया से जुड़ सकें. यह उस समय एक क्रांतिकारी कदम था, जब शहरी क्षेत्रों में भी इंटरनेट की पहुंच सीमित थी. इंटरनेट ने ग्रामीणों को शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यवसाय के नए अवसर प्रदान किए.

इसके अलावा, उन्होंने गांव की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी निगरानी प्रणाली स्थापित की. यह कदम अपराध को कम करने और गांव में शांति बनाए रखने में सहायक सिद्ध हुआ. यह एक ऐसा सुरक्षा उपाय था, जो बड़े शहरों में भी शायद ही देखने को मिलता था.

सतत विकास की दिशा में कदम: अक्षय ऊर्जा

श्री हिमांशु पटेल ने पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के महत्व को भी समझा. उन्होंने गांव में अक्षय ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए, जिससे पुंसरी सौर ऊर्जा पर निर्भर हो गया. यह न केवल गांव को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करता था, बल्कि पर्यावरण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता था. यह उस समय एक दूरदर्शी कदम था, जब भारत में अक्षय ऊर्जा का विचार अभी अपनी प्रारंभिक अवस्था में था.

शिक्षा और स्वास्थ्य पर जोर

हिमांशु भाई ने शिक्षा और स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता दी. उन्होंने गांव के स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित की और छात्रों को आधुनिक शिक्षा सुविधाएं प्रदान कीं. उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए भी काम किया, यह सुनिश्चित करते हुए कि ग्रामीणों को अच्छी चिकित्सा सुविधाएँ मिलें.

एक समुदाय का निर्माण

पुंसरी की सफलता केवल तकनीकी नवाचारों या भौतिक सुधारों तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि यह एक मजबूत और एकजुट समुदाय के निर्माण में भी निहित थी. हिमांशु भाई ने ग्रामीणों को विकास प्रक्रिया में शामिल किया, जिससे उनमें अपने गांव के प्रति स्वामित्व की भावना पैदा हुई. ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से काम किया, जिससे पुंसरी की प्रगति में तेजी आई.

पुंसरी: एक प्रेरणादायक कहानी

पुंसरी की कहानी भारत के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है. यह दर्शाता है कि कैसे एक छोटे से गांव में भी बड़े सपने देखे जा सकते हैं और उन्हें साकार किया जा सकता है. श्री हिमांशु पटेल ने यह साबित कर दिया कि जमीनी स्तर पर वास्तविक गुणवत्ता चैंपियन ग्रामीण भारत में भी बदलाव ला सकते हैं, और उन्हें शहरों की तर्ज पर ही आधुनिक और स्मार्ट बनाया जा सकता है.

आज, श्री हिमांशु पटेल को क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (QCI) के शासी निकाय के सह-चयनित सदस्य के रूप में शामिल करना एक स्वागत योग्य कदम है. उनके अनुभव और मार्गदर्शन से QCI गुणवत्ता आंदोलन को गांवों तक ले जाने में सफल होगा, जिससे अंततः माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित राष्ट्र’ के सपने को वास्तविक अर्थों में साकार करने में मदद मिलेगी.

पुंसरी ने दिखाया है कि गुणवत्ता, नवाचार और समुदाय की भागीदारी के साथ, ग्रामीण भारत भी देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. यह सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं है, बल्कि भारत के ग्रामीण भविष्य की एक झलक है, जहां हर गांव एक ‘आदर्श गांव’ बन सकता है.

पुंसरी की कहानी एक अनुस्मारक है कि असली प्रगति बड़े शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि छोटे गांवों में भी, सही नेतृत्व और सामूहिक प्रयासों से, असंभव को संभव बनाया जा सकता है. यह कहानी हमें सिखाती है कि गुणवत्ता केवल उत्पादों या सेवाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू को छूती है, और जब इसे अपनाया जाता है, तो यह अभूतपूर्व परिवर्तन ला सकती है.

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