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मुर्सी जनजाति: परंपरा, खतरा और एक अनूठी संस्कृति की कहानी

ByBinod Anand

Jun 2, 2025

एक ऐसा समुदाय जिसे दुनिया की सबसे खतरनाक जनजातियों में से एक माना जाता है। लेकिन इन सब से परे, मुर्सी स्त्रियों के निचले होंठ से लटकती हुई डिस्क, जिसे स्थानीय भाषा में ‘छेनी’ या ‘डेब्नि’ कहा जाता है, उनकी सुंदरता और पहचान का सबसे अनूठा प्रतीक है।यह सिर्फ एक गहना नहीं, बल्कि एक जटिल परंपरा का हिस्सा है, जिसकी जड़ें इतिहास, सामाजिक संरचना और अस्तित्व के संघर्ष में गहरी धंसी हुई हैं।

विनोद आनंद

थोपिया की ओमो वैली, एक ऐसी जगह जहाँ समय ठहर सा गया है। यहाँ की हवा में सिर्फ धूल और गर्मी नहीं, बल्कि एक रहस्यमयी संस्कृति की गंध भी घुली हुई है। यह वो जगह है जहाँ मुर्सी जनजाति रहती है – एक ऐसा समुदाय जिसे दुनिया की सबसे खतरनाक जनजातियों में से एक माना जाता है। लेकिन इन सब से परे, मुर्सी स्त्रियों के निचले होंठ से लटकती हुई डिस्क, जिसे स्थानीय भाषा में ‘छेनी’ या ‘डेब्नि’ कहा जाता है, उनकी सुंदरता और पहचान का सबसे अनूठा प्रतीक है।यह सिर्फ एक गहना नहीं, बल्कि एक जटिल परंपरा का हिस्सा है, जिसकी जड़ें इतिहास, सामाजिक संरचना और अस्तित्व के संघर्ष में गहरी धंसी हुई हैं।

एके-47 और होंठ की डिस्क: एक विरोधाभासी दृश्य

इथियोपिया की ओमो वैली में कदम रखते ही आप जिस विरोधाभास का सामना करते हैं, वह हैरान करने वाला है। एक ओर, आप तलवारों की तरह हवा में लहराई जाती एके-47 राइफलें देखते हैं, जो लगभग हर घर में आसानी से दिख जाती हैं। यह एक घर की नहीं, लगभग हर घर की कहानी है। यह दर्शाता है कि इस जनजाति का जीवन कितना संघर्षपूर्ण और खतरे से भरा है, जहाँ आत्मरक्षा एक आवश्यकता बन गई है।

दूसरी ओर, आप सिर पर गाय की सींगों से बने आभूषण और निचले होंठ पर लटकता अजीब तरह का चक्का देखते हैं। यह भी एक स्त्री की नहीं, लगभग हर स्त्री की बात है। ये दृश्य आपको किसी पाषाण युग में ले जाते हैं, लेकिन ये स्टोन एज के नहीं, इसी सदी के दृश्य हैं। ये तस्वीरें इसी धरती के एक कोने की हैं, जहाँ आधुनिकता की हवा मुश्किल से ही पहुंच पाई है।

यह विडंबना ही है कि एक तरफ आधुनिक और घातक हथियार हैं, तो दूसरी तरफ एक प्राचीन और कठोर सौंदर्य प्रथा। यही बात मुर्सी जनजाति को इतना दिलचस्प और डरावना बनाती है। उनकी कहानी सिर्फ उनके होंठ की डिस्क या एके-47 तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानव अस्तित्व, परंपराओं की कठोरता और आधुनिक दुनिया के सामने एक प्राचीन संस्कृति के संघर्ष की गाथा है।

मुर्सी जनजाति का परिचय: ओमो वैली के योद्धा

मुर्सी जनजाति इथियोपिया के दक्षिणी भाग में, ओमो नदी के पास निवास करती है। यह इलाका अपनी सुदूरता और दुर्गम भौगोलिक स्थिति के कारण बाहरी दुनिया से कटा हुआ है। मुर्सी लोग अपनी कठोर जीवनशैली, योद्धा प्रवृत्ति और विशिष्ट शारीरिक अलंकरणों के लिए जाने जाते हैं।

उनकी आबादी लगभग 10,000 से 15,000 के बीच होने का अनुमान है, और वे मुख्य रूप से पशुपालन पर निर्भर करते हैं, खासकर मवेशी उनके जीवन का अभिन्न अंग हैं। मवेशी उनके लिए धन का प्रतीक हैं, दहेज का हिस्सा हैं और सामाजिक प्रतिष्ठा का आधार भी।

मुर्सी समाज एक पितृसत्तात्मक समाज है, जहाँ पुरुषों का वर्चस्व है। वे अपने समुदाय और मवेशियों की रक्षा के लिए जाने जाते हैं, और इस कारण अक्सर पड़ोसी जनजातियों के साथ संघर्ष में रहते हैं। एके-47 का प्रचलन इसी संघर्ष का परिणाम है, जहाँ अपनी भूमि और मवेशियों की रक्षा के लिए वे अक्सर हथियारों का सहारा लेते हैं।

होंठ की डिस्क: सुंदरता का एक दर्दनाक प्रतीक

मुर्सी जनजाति की महिलाओं के बीच होंठ की डिस्क सबसे विशिष्ट और प्रसिद्ध शारीरिक अलंकरण है। यह प्रथा उनकी पहचान का केंद्र बिंदु है और इसे उनकी सुंदरता, सामाजिक स्थिति और वैवाहिक स्थिति का प्रतीक माना जाता है।

यह प्रथा तब शुरू होती है जब एक लड़की लगभग 15 से 16 साल की हो जाती है। सबसे पहले, लड़की के निचले होंठ में एक छोटा सा चीरा लगाया जाता है। यह प्रक्रिया अक्सर मां या परिवार की किसी अन्य महिला सदस्य द्वारा की जाती है।

इस प्रारंभिक चीरे में एक लकड़ी की कील या मिट्टी का टुकड़ा डाला जाता है ताकि घाव को खुला रखा जा सके और उसे बड़ा किया जा सके।

समय के साथ, इस छेद को धीरे-धीरे बड़ा किया जाता है। छोटे लकड़ी के प्लग या मिट्टी के डिस्क के साथ शुरुआत की जाती है, और धीरे-धीरे बड़े आकार की डिस्क डाली जाती है। यह एक दर्दनाक और लंबी प्रक्रिया है, जिसमें कई साल लग सकते हैं। जैसे-जैसे छेद बड़ा होता जाता है, अधिक बड़ी डिस्क डाली जाती हैं, कभी-कभी वे 4 से 6 इंच या उससे भी अधिक व्यास की हो सकती हैं। ये डिस्क आमतौर पर मिट्टी से बनी होती हैं, जिन्हें अक्सर रंगीन पैटर्न और डिजाइनों से सजाया जाता है।

डिस्क को हटाते समय होंठ नीचे लटक जाता है, जो देखने में अजीब लग सकता है। लेकिन मुर्सी समाज में, यह सुंदरता का प्रतीक है। जितनी बड़ी डिस्क होती है, उतनी ही सुंदर और वांछनीय महिला मानी जाती है।

यह प्रथा लड़की की शादी से पहले की जाती है, और माना जाता है कि बड़ी डिस्क वाली लड़की को शादी में अधिक मवेशी (जो दहेज के रूप में दिए जाते हैं) मिलते हैं।

परंपरा के पीछे की कहानी: क्या है मकसद?

होंठ की डिस्क की प्रथा के पीछे कई सिद्धांत और मान्यताएं हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:

सौंदर्य का प्रतीक: यह सबसे प्रचलित मान्यता है। मुर्सी समाज में, बड़ी होंठ की डिस्क को सुंदरता, परिपक्वता और सामाजिक स्थिति का प्रतीक माना जाता है। यह एक महिला के आकर्षक होने का मानदंड है।

सामाजिक स्थिति: डिस्क का आकार अक्सर एक महिला की सामाजिक स्थिति और उसके परिवार की समृद्धि को दर्शाता है। बड़ी डिस्क वाली महिला को अधिक सम्मान और मान्यता मिलती है।

दहेज और विवाह: बड़ी डिस्क वाली लड़की को शादी में अधिक मवेशी मिलने की संभावना होती है। यह एक प्रकार का निवेश है, क्योंकि यह लड़की के लिए बेहतर वैवाहिक प्रस्ताव सुनिश्चित करता है।

पहचान: होंठ की डिस्क मुर्सी जनजाति की पहचान का एक अभिन्न हिस्सा है। यह उन्हें अन्य जनजातियों से अलग करती है और उनकी सांस्कृतिक विशिष्टता को दर्शाती है।

दुष्ट आत्माओं से बचाव (एक सिद्धांत): कुछ पुराने सिद्धांत यह भी सुझाते हैं कि यह प्रथा दुष्ट आत्माओं को मुंह में प्रवेश करने से रोकने के लिए शुरू की गई थी, लेकिन यह एक कम स्वीकार्य स्पष्टीकरण है।

दास व्यापार से बचाव (एक और सिद्धांत): एक और सिद्धांत यह है कि यह प्रथा 19वीं शताब्दी में गुलाम व्यापारियों से बचने के लिए शुरू की गई थी। गुलाम व्यापारी अक्सर आकर्षक दिखने वाली महिलाओं को पकड़ते थे, और यह माना जाता था कि यह विरूपण उन्हें कम आकर्षक और इसलिए गुलाम बनाए जाने की संभावना कम कर देगा। हालांकि, यह सिद्धांत भी विवादित है और इसके ठोस ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिलते।
सबसे विश्वसनीय और व्यापक रूप से स्वीकृत कारण सौंदर्य और सामाजिक स्थिति से जुड़ा है। यह एक जटिल सामाजिक प्रथा है जो मुर्सी समाज की संरचना में गहराई से समाई हुई है।

दर्द और सहनशक्ति: एक महिला का समर्पण


होंठ की डिस्क पहनने की प्रक्रिया में अत्यधिक दर्द और सहनशक्ति की आवश्यकता होती है। यह सिर्फ शारीरिक दर्द नहीं है, बल्कि एक भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक चुनौती भी है। लड़कियों को इस दर्दनाक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जो उनकी दृढ़ता और समुदाय के प्रति समर्पण को दर्शाता है।

इस प्रक्रिया में संक्रमण का खतरा भी रहता है, और घावों की उचित देखभाल न होने पर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। महिलाएं अक्सर अपनी डिस्क को हटाने के बाद खाती हैं, क्योंकि डिस्क के साथ खाना मुश्किल होता है। वे तरल पदार्थ पीने के लिए डिस्क को हटा सकती हैं या उसके ऊपर से पी सकती हैं।

मुर्सी पुरुषों का रूप और जीवनशैली

जबकि मुर्सी महिलाओं की पहचान उनकी होंठ की डिस्क है, मुर्सी पुरुष भी अपने आप में कम आकर्षक नहीं हैं। वे अक्सर अपने शरीर पर सफेद चाक और गेरू से पेंटिंग करते हैं, जो उनके युद्ध की तैयारी या विशेष अनुष्ठानों का हिस्सा हो सकता है।

उनके सिर पर अक्सर गाय की सींगें या अन्य पशु भागों से बने जटिल आभूषण होते हैं, जो उनकी ताकत और सामाजिक स्थिति का प्रतीक हैं।
मुर्सी पुरुष अपने मवेशियों की रक्षा और जनजाति की सुरक्षा के लिए जाने जाते हैं। वे अक्सर अपने साथ एके-47 राइफलें रखते हैं, जो आधुनिक दुनिया से उनकी एकमात्र संबंध प्रतीत होती हैं। ये हथियार उन्हें पड़ोसी जनजातियों और कभी-कभी सरकारी अधिकारियों से भी खुद की रक्षा करने में मदद करते हैं। उनकी जीवनशैली कठोर है, और वे अक्सर सूखे और खाद्य असुरक्षा जैसी चुनौतियों का सामना करते हैं।

आधुनिकता का प्रभाव और मुर्सी जनजाति का भविष्य

मुर्सी जनजाति धीरे-धीरे बाहरी दुनिया के संपर्क में आ रही है, मुख्य रूप से पर्यटन के माध्यम से। ओमो वैली अब एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन गया है, और मुर्सी लोग पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गए हैं। यह संपर्क उनके लिए आर्थिक अवसर प्रदान करता है, लेकिन साथ ही उनकी पारंपरिक जीवनशैली के लिए चुनौतियां भी खड़ी करता है।

पर्यटन से होने वाली आय मुर्सी लोगों को कुछ आधुनिक सुविधाएं जैसे कपड़े, नमक और कभी-कभी हथियार खरीदने में मदद करती है। हालांकि, यह उनकी संस्कृति के व्यावसायीकरण का भी कारण बन सकता है, जहाँ उनकी परंपराएं प्रदर्शन का एक साधन बन जाती हैं।
सरकारी नीतियां भी मुर्सी जनजाति के जीवन को प्रभावित कर रही हैं। सरकार अक्सर उन्हें कृषि भूमि पर बसने या शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रोत्साहित करती है, जो उनकी पारंपरिक पशुपालन और खानाबदोश जीवनशैली से बहुत अलग है। इसके अलावा, राष्ट्रीय उद्यानों और संरक्षित क्षेत्रों का विस्तार भी उनकी भूमि और संसाधनों पर दबाव डाल रहा है।

मुर्सी जनजाति के सामने कई चुनौतियां हैं:

भूमि और संसाधन: उनकी पारंपरिक चरागाह भूमि पर बढ़ता दबाव।

स्वास्थ्य सेवा: सीमित स्वास्थ्य सुविधाओं और आधुनिक चिकित्सा तक पहुंच का अभाव।

शिक्षा: शिक्षा की कमी और बाहरी दुनिया के साथ एकीकरण में कठिनाई।

हथियार और संघर्ष: पड़ोसी जनजातियों के साथ हथियारों से लैस संघर्षों का जारी रहना।

सांस्कृतिक परिवर्तन: पर्यटन और आधुनिकता के प्रभाव के कारण पारंपरिक प्रथाओं में संभावित बदलाव।

कुछ मुर्सी युवा अब होंठ की डिस्क पहनने से हिचकिचा रहे हैं, खासकर अगर वे बाहरी दुनिया के संपर्क में आते हैं। यह संकेत देता है कि यह प्रथा धीरे-धीरे कम हो सकती है, खासकर जब युवा पीढ़ी को शिक्षा और अन्य अवसरों तक पहुंच मिलती है। हालांकि, यह एक धीमी प्रक्रिया है, और यह प्रथा अभी भी मुर्सी महिलाओं की पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी हुई है।

एक अदम्य भावना की कहानी

मुर्सी जनजाति की कहानी सिर्फ होंठ की डिस्क और एके-47 की नहीं है। यह मानव भावना की अदम्यता, सांस्कृतिक पहचान की दृढ़ता और आधुनिक दुनिया के सामने एक प्राचीन जीवनशैली के संघर्ष की कहानी है। यह हमें सिखाती है कि सुंदरता, ताकत और पहचान की अवधारणाएं कितनी विविध और जटिल हो सकती हैं।

ओमो वैली के ये लोग, अपने अनोखे गहनों और निडरता के साथ, हमें याद दिलाते हैं कि दुनिया में अभी भी ऐसी जगहें हैं जहाँ परंपराएं गहरी हैं, जहाँ जीवन की लड़ाई रोज लड़ी जाती है, और जहाँ मानव संस्कृति अपने सबसे मूल और अप्रत्याशित रूपों में जीवित है। मुर्सी जनजाति एक जीवित संग्रहालय है, जो हमें इतिहास, मानवविज्ञान और अस्तित्व की प्रकृति के बारे में सोचने पर मजबूर करता है। उनकी कहानी एक शक्तिशाली अनुस्मारक है कि कैसे परंपराएं, खतरे और अनूठी सुंदरता एक साथ सह-अस्तित्व में रह सकते हैं।

क्या मुर्सी जनजाति अपनी परंपराओं को बनाए रख पाएगी, या आधुनिकता की लहरें उन्हें अपने साथ बहा ले जाएंगी? यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब भविष्य में ही मिल पाएगा, लेकिन अभी के लिए, मुर्सी स्त्रियां अपनी होंठ की डिस्क के साथ, अपनी सांस्कृतिक विरासत की एक मजबूत और दर्दनाक मिसाल पेश कर रही हैं।

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