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युवाओं को ट्रैफिक नियमों का पाठ पढ़ा रहे हैं बलियापुर थाना के एस आई मृत्युंजय तिवारी, शिक्षा और मौलिक अधिकारों पर भी दे रहे हैं जोर

ByBinod Anand

Jun 22, 2025

बलियापुर थाना में कार्यरत सब-इंस्पेक्टर (SI) मृत्युंजय तिवारी ने सामुदायिक पुलिसिंग की दिशा में एक सराहनीय पहल की है। उन्होंने न केवल युवाओं को यातायात नियमों का पालन करने के लिए जागरूक किया, बल्कि बच्चों को शिक्षा के महत्व और उनके मौलिक अधिकारों के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी है, पढ़िए हमारे  विशेष प्रतिनिधि उमेश चौबे की रिपोर्ट

 

लियापुर, झारखंड: धनबाद जिले के बलियापुर थाना में कार्यरत सब-इंस्पेक्टर (SI) मृत्युंजय तिवारी ने सामुदायिक पुलिसिंग की दिशा में एक सराहनीय पहल की है। उन्होंने न केवल युवाओं को यातायात नियमों का पालन करने के लिए जागरूक किया, बल्कि बच्चों को शिक्षा के महत्व और उनके मौलिक अधिकारों के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी। एसआई तिवारी का यह प्रयास समाज में सकारात्मक बदलाव लाने और पुलिस तथा जनता के बीच बेहतर संबंध स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

रविवार को एसआई मृत्युंजय तिवारी ने ग्राम छाताबाद टोला चक चिटाई का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों से बातचीत करते हुए उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास किया। ग्रामीण अपनी समस्याओं को खुलकर एसआई तिवारी के सामने रख सके, जिससे पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच विश्वास का माहौल बना। इस दौरान उन्होंने विशेष रूप से बच्चों के साथ समय बिताया।

बच्चों को संबोधित करते हुए, एसआई तिवारी ने उन्हें यातायात नियमों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने समझाया कि कैसे सड़क पर सुरक्षित रहना है, ट्रैफिक सिग्नल का क्या महत्व है, और पैदल चलते समय या वाहन चलाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने सरल और सहज भाषा में बच्चों को ट्रैफिक लाइट के रंगीन संकेतों का अर्थ समझाया, जैसे लाल बत्ती का मतलब रुकना, पीली बत्ती का मतलब तैयार होना, और हरी बत्ती का मतलब चलना। उन्होंने हेलमेट पहनने और सीट बेल्ट लगाने की अनिवार्यता पर भी जोर दिया, ताकि भविष्य में ये बच्चे सड़क पर जिम्मेदार नागरिक बन सकें।

यातायात नियमों के साथ-साथ, एसआई मृत्युंजय तिवारी ने शिक्षा के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बच्चों को प्रेरित करते हुए कहा कि शिक्षा ही एकमात्र ऐसा माध्यम है, जिससे वे अपने जीवन में आगे बढ़ सकते हैं और बड़े अधिकारी या सफल व्यक्ति बन सकते हैं। उन्होंने बताया कि किस तरह से शिक्षा के माध्यम से ज्ञान और कौशल प्राप्त कर वे अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। उन्होंने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल जाने, मन लगाकर पढ़ाई करने और अपने शिक्षकों तथा बड़ों का सम्मान करने की सलाह दी। उन्होंने यह भी समझाया कि शिक्षा केवल किताबें पढ़ने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू में सीखने और समझने की प्रक्रिया है।

बच्चों के बीच अपने मौलिक अधिकारों की जानकारी देते हुए, एसआई तिवारी ने उन्हें बताया कि हमारे संविधान ने हमें कौन-कौन से अधिकार दिए हैं। उन्होंने समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार और शिक्षा का अधिकार जैसे महत्वपूर्ण मौलिक अधिकारों को सरल शब्दों में समझाया। उन्होंने बच्चों को यह भी बताया कि यदि कभी उनके अधिकारों का हनन होता है, तो उन्हें कहां और कैसे शिकायत करनी चाहिए। यह जानकारी बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करेगी और उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनने में मदद करेगी।

एसआई मृत्युंजय तिवारी ने बच्चों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उन्हें चॉकलेट भी दिए। यह एक छोटा सा लेकिन प्रभावी तरीका था बच्चों के साथ जुड़ने और उनमें सकारात्मकता का संचार करने का। बच्चों ने भी एसआई तिवारी के साथ बातचीत का खूब आनंद लिया और उन्हें धन्यवाद दिया।

एसआई मृत्युंजय तिवारी का यह प्रयास न केवल पुलिस की छवि को बेहतर बनाता है, बल्कि यह समाज में जागरूकता फैलाने और युवाओं को सही दिशा में मार्गदर्शन करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सामुदायिक पुलिसिंग के इस तरह के कदम समाज के हर वर्ग के बीच पुलिस के प्रति विश्वास और सहयोग की भावना को मजबूत करते हैं। यह दर्शाता है कि पुलिस केवल कानून-व्यवस्था बनाए रखने तक सीमित नहीं है, बल्कि वह समाज के विकास और नागरिकों के उत्थान में भी सक्रिय भूमिका निभा सकती है।

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