युवाओं को कम उम्र में हो रही हृदयघात को लेकर सरकार को तत्काल हरकत में आना चाहिए और एक उच्च स्तरीय मेडिकल बोर्ड का गठन कर इस समस्या की गहनता से जांच करानी चाहिए। यह समझना आवश्यक है कि आखिर युवाओं में हृदय आघात के मामलों में यह अप्रत्याशित वृद्धि क्यों हो रही है।
(विनोद आनंद)

उ त्तर प्रदेश के अम्बेडकरनगर जिले में एक ही दिन में तीन युवाओं की हृदय आघात से हुई असामयिक मृत्यु ने पूरे क्षेत्र में सनसनी और दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। राजेसुल्तानपुर थाना क्षेत्र के अलग-अलग गांवों के ये तीन युवा – चंद्रेश पाल (40), दीपू कुमार (30) और अनुज कुमार (24) – अचानक काल के गाल में समा गए। इन घटनाओं ने न केवल मृतकों के परिवारों को गहरे शोक में डुबो दिया है, बल्कि समाज में भी एक गंभीर प्रश्न खड़ा कर दिया है कि आखिर युवाओं में हृदय आघात की घटनाएं इतनी तेजी से क्यों बढ़ रही हैं?
मृतक चंद्रेश पाल, जो दिल्ली में दूरसंचार विभाग में एसडीओ के पद पर कार्यरत थे, एक स्वस्थ और सक्रिय जीवन जी रहे थे। उनकी सुबह वाशरूम में अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद मृत्यु हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनकी मौत का कारण हृदय आघात बताया गया। उनके पीछे उनकी पत्नी और दो वर्षीय बेटी बिलखती छोड़ गईं हैं। दूसरी ओर, दीपू कुमार, जो अयोध्या में मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे, रात में अचानक अस्वस्थ होने के कारण चल बसे। उनके परिवार में उनकी पत्नी और तीन वर्षीय बेटी हैं, जिनके सामने अब रोजी-रोटी का गंभीर संकट आ खड़ा हुआ है। तीसरी हृदयविदारक घटना में, अनुज कुमार, जो एक बारात में शामिल होने पड़ोसी जिले आजमगढ़ गए थे, रात लगभग 10 बजे सीने में दर्द उठने के बाद अस्पताल ले जाते समय दम तोड़ दिया। उनकी पत्नी और एक वर्षीय पुत्र अब असहाय महसूस कर रहे हैं।
इन तीनों ही मामलों में, मृतकों की आयु अपेक्षाकृत कम थी और उनकी अचानक हुई मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह कोई বিচ্ছিন্ন घटना नहीं है। हाल के वर्षों में, खासकर कोविड-19 महामारी के बाद, युवाओं में हृदय आघात और अचानक मृत्यु के मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है। पहले जहां हृदय संबंधी बीमारियां आमतौर पर अधिक उम्र के लोगों को प्रभावित करती थीं, वहीं अब 20, 30 और 40 वर्ष के युवा भी तेजी से इसका शिकार हो रहे हैं। यह स्थिति न केवल व्यक्तिगत परिवारों के लिए त्रासदीपूर्ण है, बल्कि देश के जन स्वास्थ्य के लिए भी एक गंभीर चुनौती है।
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, सरकार को तत्काल हरकत में आना चाहिए और एक उच्च स्तरीय मेडिकल बोर्ड का गठन कर इस समस्या की गहनता से जांच करानी चाहिए। यह समझना आवश्यक है कि आखिर युवाओं में हृदय आघात के मामलों में यह अप्रत्याशित वृद्धि क्यों हो रही है। इसके संभावित कारणों पर विस्तृत वैज्ञानिक अध्ययन की आवश्यकता है। जीवनशैली में बदलाव, खानपान की आदतें, तनाव का स्तर, पर्यावरणीय कारक और अन्य अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियां, ये सभी संभावित योगदानकर्ता हो सकते हैं, जिन पर गहराई से विचार करना होगा।
इस संदर्भ में, ऑस्ट्रेलिया के नोबेल पुरस्कार विजेता रसायन विज्ञान के वैज्ञानिक द्वारा व्यक्त की गई आशंका को भी पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कोविड-19 वैक्सीन और हृदय संबंधी समस्याओं के बीच संभावित संबंध की ओर इशारा किया था। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अभी तक इस दावे का कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है और दुनिया भर के अधिकांश स्वास्थ्य संगठन कोविड-19 वैक्सीन को सुरक्षित और प्रभावी मानते हैं। फिर भी, चूंकि एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक ने इस तरह की आशंका व्यक्त की है, इसलिए सरकार को इस पहलू पर भी निष्पक्ष और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जांच करनी चाहिए।
यह आवश्यक है कि सरकार उन सभी व्यक्तियों के स्वास्थ्य संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण करे जिनकी हाल के दिनों में हृदय आघात से मृत्यु हुई है। इस विश्लेषण में उनकी चिकित्सा इतिहास, जीवनशैली और विशेष रूप से कोविड-19 टीकाकरण की स्थिति को शामिल किया जाना चाहिए। यदि किसी भी तरह का कोई पैटर्न या संबंध पाया जाता है, तो उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए और आगे की वैज्ञानिक जांच के लिए आधार प्रदान करना चाहिए। पारदर्शिता और वैज्ञानिक rigour इस संवेदनशील मुद्दे को संबोधित करने के लिए सर्वोपरि हैं।
इसके अतिरिक्त, सरकार को उन सभी लोगों के लिए निशुल्क हृदय जांच शिविर आयोजित करने चाहिए जिन्होंने कोविड-19 का टीका लगवाया है। यह एक निवारक उपाय होगा जिससे समय पर संभावित हृदय संबंधी समस्याओं का पता लगाया जा सकेगा और उचित चिकित्सा हस्तक्षेप किया जा सकेगा। इस तरह के व्यापक जांच कार्यक्रम से बहुमूल्य डेटा भी एकत्र किया जा सकेगा, जिसका उपयोग हृदय आघात और टीकाकरण के बीच किसी भी संभावित संबंध का अध्ययन करने के लिए किया जा सकता है।
यह भी महत्वपूर्ण है कि सरकार युवाओं में हृदय स्वास्थ्य के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाए। लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने, नियमित व्यायाम करने, संतुलित आहार लेने और तनाव का प्रबंधन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। हृदय रोग के शुरुआती लक्षणों और जोखिम कारकों के बारे में जागरूकता बढ़ाना भी आवश्यक है ताकि लोग समय पर चिकित्सा सहायता ले सकें।
अम्बेडकरनगर में हुई इन दुखद मौतों ने एक बार फिर इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया है। यह समय निष्क्रिय रहने का नहीं है। सरकार को तत्काल एक व्यापक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाते हुए इस समस्या की जड़ तक पहुंचने और प्रभावी समाधान खोजने की दिशा में काम करना होगा। युवाओं का जीवन अनमोल है और उनकी असामयिक मृत्यु न केवल उनके परिवारों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है। हमें मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे युवा स्वस्थ और सुरक्षित रहें।


