क नाडा में आयोजित G-7 शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते प्रभाव को एक बार फिर प्रदर्शित किया। सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने विभिन्न विश्व नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं, जिसमें महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर चर्चा हुई और भारत के हितों को बढ़ावा दिया गया।

ये मुलाकातें न केवल भारत की कूटनीतिक सक्रियता को दर्शाती हैं, बल्कि ‘ग्लोबल साउथ’ (विकासशील देशों) की आवाज़ को बुलंद करने के भारत के संकल्प को भी उजागर करती हैं।
कनाडा में भव्य स्वागत और ‘ग्लोबल साउथ’ पर जोर
‘जी-7 आउटरीच सेशन’ के लिए कनाडा के कनैनिस्किस पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी का उनके कनाडाई समकक्ष मार्क कार्नी ने गर्मजोशी से स्वागत किया। इससे पूर्व, प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया था कि वह G-7 शिखर सम्मेलन में विश्व नेताओं से मुलाकात के दौरान महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे और ‘ग्लोबल साउथ’ की प्राथमिकताओं पर विशेष जोर देंगे। यह भारत की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है जिसमें वह विकासशील देशों के मुद्दों को वैश्विक मंच पर उठाता रहा है।
यूरोपीय संघ के नेताओं के साथ उपयोगी वार्ता
G-7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की यूरोपीय संघ के प्रमुख नेताओं के साथ भी सार्थक बातचीत हुई। यूरोपीय यूनियन आयोग की प्रेसिडेंट उर्सुला वॉन डेर लेयेन के साथ हुई बातचीत को प्रधानमंत्री मोदी ने “उपयोगी” बताया। इसके अतिरिक्त, यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष श्री एंटोनियो कोस्टा के साथ भी उनकी मुलाकात हुई। इन मुलाकातों ने भारत और यूरोपीय संघ के बीच मजबूत संबंधों को रेखांकित किया, जो व्यापार, प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इटली और फ्रांस के साथ दोस्ती हुई मजबूत
इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के साथ अपनी मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और इटली की दोस्ती को और मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूं। इटली के साथ भारत की दोस्ती और मजबूत होती जाएगी, जिससे हमारे लोगों को बहुत फायदा मिलेगा।” यह टिप्पणी दोनों देशों के बीच बढ़ते सामरिक और आर्थिक संबंधों को दर्शाती है।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ प्रधानमंत्री मोदी की बातचीत
हमेशा की तरह सौहार्दपूर्ण रही। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “मेरे मित्र राष्ट्रपति मैक्रों के साथ बातचीत करना और विभिन्न मुद्दों पर एक-दूसरे के विचारों को जानना मेरे लिए हमेशा खुशी की बात होती है। भारत और फ्रांस पूरी दुनिया की भलाई के लिए मिलकर काम करना जारी रखेंगे।” यह मुलाकात भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी की गहराई और वैश्विक मंच पर उनके साझा दृष्टिकोण को प्रमाणित करती है।
ब्रिटेन के साथ व्यापार और वाणिज्य में प्रगति
प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के साथ अपनी “महत्वपूर्ण” बातचीत का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि भारत और ब्रिटेन के रिश्ते लगातार मजबूत हो रहे हैं, जो व्यापार और वाणिज्य जैसे क्षेत्रों में उनकी प्रगति में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। दोनों नेताओं ने इस “अद्भुत दोस्ती” को और अधिक गति देने के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लिया। यह भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर चल रही बातचीत के संदर्भ में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
जापान के साथ द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने की प्रतिबद्धता
कनाडा में G-7 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा के साथ भी बातचीत की। दोनों देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। भारत और जापान एशिया-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण साझेदार हैं और उनकी रणनीतिक साझेदारी क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
दक्षिण कोरिया के साथ वाणिज्य, निवेश और प्रौद्योगिकी पर जोर
प्रधानमंत्री मोदी ने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे-म्यांग के साथ अपनी मुलाकात को “बहुत अच्छी” बताया। उन्होंने कहा कि भारत और कोरिया गणराज्य वाणिज्य, निवेश, प्रौद्योगिकी, हरित हाइड्रोजन, जहाज निर्माण और अन्य क्षेत्रों में मिलकर काम करना चाहते हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि दोनों नेताओं ने व्यापार और अर्थव्यवस्था, महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों, हरित हाइड्रोजन, जहाज निर्माण, संस्कृति एवं अन्य क्षेत्रों में साझेदारी के माध्यम से सहयोग के नए रास्ते तलाश कर भारत-दक्षिण कोरिया विशेष रणनीतिक साझेदारी को प्रगाढ़ करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर भी अपने विचार साझा किए।
जर्मनी के साथ 25 वर्षों की रणनीतिक साझेदारी का उत्सव
प्रधानमंत्री मोदी ने कनाडा में G-7 शिखर सम्मेलन के दौरान जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ के साथ बातचीत करके “बहुत खुशी” व्यक्त की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और जर्मनी घनिष्ठ मित्र हैं, जो साझा मूल्यों से जुड़े हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष दोनों देश अपनी रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पूरे कर रहे हैं। उन्होंने आईटी, विनिर्माण, सेमीकंडक्टर, स्थिरता, अनुसंधान और नवाचार जैसे क्षेत्रों में और भी अधिक निकटता से काम करने पर चर्चा की। चांसलर मर्ज़ और प्रधानमंत्री मोदी ने रक्षा और सुरक्षा संबंधों को गहरा करने पर भी चर्चा की, और आतंकवाद का मुकाबला करने तथा आतंकवाद के वित्तपोषण पर लगाम लगाने जैसे क्षेत्रों में मिलकर काम करते रहने का संकल्प लिया।
मैक्सिको के साथ नए क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाएं
प्रधानमंत्री मोदी ने मैक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम के साथ भी बैठक की। उन्होंने इस बैठक को “बहुत अच्छी” बताया और उन्हें दो शताब्दियों में पहली महिला मैक्सिकन राष्ट्रपति बनने पर उनकी ऐतिहासिक चुनावी जीत पर व्यक्तिगत रूप से बधाई दी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोनों नेता आने वाले समय में भारत-मेक्सिको संबंधों में अपार संभावनाएं देखते हैं, खासकर कृषि, अर्धचालक, महत्वपूर्ण खनिज, स्वास्थ्य सेवा और अन्य क्षेत्रों में। उन्होंने लोगों के बीच आपसी संबंधों को बढ़ाने के तरीकों पर भी चर्चा की।
दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के साथ मजबूत संबंध
प्रधानमंत्री मोदी ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा के साथ अपनी बातचीत की एक तस्वीर ‘एक्स’ पर साझा करते हुए कहा कि उन्हें रामफोसा से बात करके खुशी हुई। दक्षिण अफ्रीका G-20 और ब्रिक्स जैसे महत्वपूर्ण बहुपक्षीय मंचों पर भारत का एक प्रमुख साझेदार है।
इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष एंथनी अल्बनीज से भी मुलाकात की। मोदी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘कनाडा में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान ऑस्ट्रेलिया के अपने मित्र प्रधानमंत्री अल्बनीज से मिलकर अच्छा लगा।’
भारत और ऑस्ट्रेलिया क्वाड (QUAD) के सदस्य हैं और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए मिलकर काम करते हैं।
कुल मिलाकर, G-7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की इन मुलाकातों ने भारत की सक्रिय और बहुआयामी विदेश नीति को उजागर किया। ये बैठकें न केवल भारत के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करती हैं, बल्कि वैश्विक चुनौतियों का सामना करने और ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज़ को प्रतिनिधित्व देने की भारत की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती हैं। क्या आप इन मुलाकातों के किसी विशेष पहलू या किसी विशिष्ट देश के साथ भारत के संबंधों पर अधिक जानकारी चाहेंगे?


