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चीन-पाक गठजोड़ के बढ़ते खतरे से अब भारत के लिए थर्मोन्यूक्लियर विकल्प और हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण जरूरी है

ByBinod Anand

May 16, 2025

अगले डेढ़ वर्षों में चीन और पाकिस्तान की सेनाएं संयुक्त रूप से भारत के खिलाफ मोर्चा खोल सकती हैं। इस संभावित खतरे को देखते हुए, अमेरिकी विशेषज्ञ एशले टेलिस ने पहले ही भारत को आगाह किया था कि उसे चीन के खिलाफ अपनी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए थर्मोन्यूक्लियर बम का परीक्षण करना होगा

हाल ही में आतंकी हमले से बौखलाये भारत द्वारा लॉन्च किये गए आतंकियों के विरुद्ध सिंदूर ऑपरेशन के बाद शुरू हुए युद्ध से एक गंभीर भू-राजनीतिक चिंता को उजागर किया है। इस संघर्ष में, भारत के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी चीन ने खुलकर इस्लामाबाद का समर्थन किया, उसे घातक हथियार मुहैया कराए जिनका इस्तेमाल भारतीय सेना के खिलाफ किया गया।

J-10C लड़ाकू जेट और उसमें लगी PL-15 मिसाइलों की तैनाती ने वैश्विक स्तर पर ध्यान खींचा। इसके अतिरिक्त, चीन ने पाकिस्तान को किलर ड्रोन से लेकर परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम SH-15 तोपें तक प्रदान कीं, जिससे एक तरह से भारत चीनी हथियारों के परीक्षण का मैदान बन गया।

इन सारे घटनाक्रम के बाद विश्लेषकों का मानना है कि अगले डेढ़ वर्षों में चीन और पाकिस्तान की सेनाएं संयुक्त रूप से भारत के खिलाफ मोर्चा खोल सकती हैं। इस संभावित खतरे को देखते हुए, अमेरिकी विशेषज्ञ एशले टेलिस ने पहले ही भारत को आगाह किया था कि उसे चीन के खिलाफ अपनी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए थर्मोन्यूक्लियर बम का परीक्षण करना होगा।

रक्षा विशेषज्ञ के अनुसार, चीन के भारत के खिलाफ हवाई अभियान चलाने के दो मुख्य उद्देश्य हो सकते हैं। पहला, ताइवान पर संभावित आक्रमण से पहले अपने हथियारों का परीक्षण करना, और दूसरा, भारत की शक्ति को कमजोर करना ताकि ताइवान पर कब्जा करने के दौरान उसे अपने पश्चिमी मोर्चे की चिंता न रहे। झा ने यह भी बताया कि चीन पहले से ही पाकिस्तानी सेना को मजबूत करने की प्रक्रिया में तेजी ला रहा है, जिसमें AIP-समर्थित हैंगोर-क्लास पनडुब्बियां और संभावित रूप से पांचवीं पीढ़ी के J-35 लड़ाकू जेट शामिल हैं।

पाकिस्तान को हाइपरसोनिक मिसाइलें भी मिल सकती हैं, जिसका स्पष्ट लक्ष्य भारत के मुकाबले उसकी सैन्य क्षमता को बढ़ाना है। झा की यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब चीन ने पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच अरुणाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों के नाम बदल दिए हैं, जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है, जबकि चीन ने इस क्षेत्र पर अपना संप्रभु अधिकार जताया है।

‘भारत को करना होगा थर्मोन्यूक्लियर बम का टेस्ट’

वर्ष 2022 में, कार्नेगी एंडोमेंट के विशेषज्ञ एशले टेलिस ने भी चीन के बढ़ते खतरे पर भारत को कड़ी चेतावनी दी थी। उन्होंने तर्क दिया था कि भारत को अपनी परमाणु शक्ति को उन्नत करने के लिए एक बार फिर थर्मोन्यूक्लियर बम का परीक्षण करना होगा। टेलिस ने यह भी कहा कि अमेरिका के हित में है कि वह भारत को इस परीक्षण के लिए दंडित न करे। उन्होंने परमाणु और थर्मोन्यूक्लियर हथियारों के बीच महत्वपूर्ण अंतर को रेखांकित किया, जिसमें परमाणु बम कम क्षमता वाले होते हैं जबकि थर्मोन्यूक्लियर हथियार सैकड़ों टन के बराबर विनाशकारी क्षमता रखते हैं।

टेलिस ने एक भारतीय मीडिया हॉउस को दिए एक साक्षात्कार में हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बमों (15-20 किलोटन) की तुलना आज के दक्षिण एशियाई महानगरों (बीजिंग, शंघाई, नई दिल्ली, मुंबई और कराची) की विशाल आबादी और आकार से की। उन्होंने बताया कि शीत युद्ध के दौरान चीन के पास कम परमाणु हथियार थे, लेकिन उनमें से अधिकांश थर्मोन्यूक्लियर बम थे, जो प्रभावी प्रतिरोधक क्षमता के लिए पर्याप्त थे।

टेलिस का मानना है कि 1998 में भारत का थर्मोन्यूक्लियर बम परीक्षण विफल रहा था। उन्होंने जोर देकर कहा कि चीन के खिलाफ विश्वसनीय प्रतिरोधक क्षमता के लिए थर्मोन्यूक्लियर हथियार आवश्यक हैं, खासकर चीन के विशाल आकार और परमाणु शस्त्रागार को देखते हुए।

भारत के लिए हाइपरसोनिक मिसाइलें भी जरूरी

कई विश्लेषकों का यह भी मानना है कि भविष्य में चीन और पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए भारत को हाइपरसोनिक मिसाइलों के विकास और परीक्षण में तेजी लानी चाहिए। हाइपरसोनिक मिसाइलें आधुनिक समय के शक्तिशाली हथियार हैं जिन्हें किसी भी हवाई रक्षा प्रणाली द्वारा मार गिराना मुश्किल है। पाकिस्तान के खिलाफ सीमित युद्ध में ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल की सफलता महत्वपूर्ण रही, लेकिन चीन के लिए हाइपरसोनिक क्षमता और भी महत्वपूर्ण है, जिसमें उसने पहले ही महत्वपूर्ण प्रगति कर ली है। अमेरिका भी चीन की हाइपरसोनिक मिसाइलों से चिंतित है। ऐसे में, भारत को व्यापक तैयारी करनी होगी ताकि चीन पाकिस्तान के साथ मिलकर कोई भी सैन्य कार्रवाई करने से पहले कई बार सोचे।

भारत के पास वर्तमान में लगभग 180 परमाणु हथियार हैं, जबकि चीन के पास यह संख्या 500 तक पहुंच चुकी है और आने वाले वर्षों में इसे 1500 तक बढ़ाने की योजना है। वहीं, पाकिस्तान भी लगभग 170 परमाणु हथियारों के साथ भारत को धमकाता रहता है, जिसमें सामरिक परमाणु हथियारों का दावा भी शामिल है। सीमित युद्ध के दौरान पाकिस्तानी नेताओं की परमाणु हमले की धमकियां भी सामने आईं थीं। भारत ने अपनी परमाणु नीति में स्पष्ट रूप से कहा है कि वह केवल परमाणु हमले की स्थिति में ही परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा।

इस परिदृश्य में, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपनी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने और चीन-पाक गठजोड़ के संभावित खतरों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए न केवल थर्मोन्यूक्लियर तकनीक पर ध्यान देना होगा, बल्कि हाइपरसोनिक मिसाइल क्षमताओं को भी तेजी से विकसित करना होगा। यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है।

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