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विश्लेषण : ऑपरेशन सिंदूर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साहसिक और निर्णायक नेतृत्व

ByBinod Anand

May 14, 2025

 


लेखक: रामकिंकर पांडेय
(राजनीतिक विश्लेषक)

प्रस्तावना: राष्ट्र रक्षक का दृढ़ संकल्प
“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।” (भगवद गीता 2.47) का अर्थ है कि कर्म करने में तेरा अधिकार है, लेकिन फल में नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व इस श्लोक का प्रत्यक्ष उदाहरण है।

जब राष्ट्र के स्वाभिमान और संप्रभुता की बात आती है, तो मोदी जी का दृष्टिकोण निडर और दृढ़ होता है। “ऑपरेशन सिंदूर” इसका साक्षात प्रमाण है। भारतीय सैन्य इतिहास में इस साहसिक अभियान ने न केवल भारत की सामरिक शक्ति का प्रदर्शन किया बल्कि प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व को भी सिद्ध किया। ऑपरेशन सिंदूर का आरंभ दुश्मन के निरंतर उकसावे और भारतीय सीमाओं पर बढ़ते हमलों के बीच हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए उच्च स्तरीय बैठकें कीं। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, रक्षा मंत्री और सेनाध्यक्षों के साथ गहन चर्चा की। सभी संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया गया और अंततः यह निर्णय लिया गया कि भारतीय सेना को आत्मरक्षा के लिए पूरी छूट दी जाए। प्रधानमंत्री का स्पष्ट संदेश था कि किसी भी प्रकार की दुविधा में न फंसा जाए। मोदी जी ने सेना को न केवल कूटनीतिक समर्थन दिया बल्कि अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद साहसिक निर्णय लेने की स्वतंत्रता भी प्रदान की।

ऑपरेशन सिंदूर के लिए उच्च तकनीकी और सामरिक दृष्टिकोण अपनाया गया। सेना के अभियानों को अति गोपनीय रखा गया ताकि दुश्मन को कोई पूर्व सूचना न मिले। इस दौरान सेटेलाइट इमेजरी, मानव खुफिया (HUMINT) और इलेक्ट्रॉनिक खुफिया (ELINT) का उपयोग करके दुश्मन के ठिकानों की सटीक पहचान की गई। वायुसेना ने राफेल और सुखोई-30MKI जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों का उपयोग किया। ब्रह्मोस और निर्भय जैसी लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलें लक्षित ठिकानों पर दागी गईं। प्रधानमंत्री मोदी ने ऑपरेशन की निगरानी व्यक्तिगत रूप से की। दिल्ली स्थित राष्ट्रीय सुरक्षा कक्ष में प्रधानमंत्री ने सेना प्रमुखों से सीधा संवाद किया। उनका स्पष्ट संदेश था कि हर कदम सोचा-समझा और राष्ट्रहित में होना चाहिए। जब ऑपरेशन सिंदूर की पहली सफलता की खबर आई, तो प्रधानमंत्री ने सबसे पहले सैनिकों का उत्साहवर्धन किया और उनके अदम्य साहस की प्रशंसा की। मोदी जी का नेतृत्व केवल सैन्य शक्ति तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इस ऑपरेशन को सही ठहराया। जब पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की, तो भारत ने मजबूती से अपना पक्ष रखा। प्रधानमंत्री ने विदेश मंत्रालय को निर्देश दिए कि भारत के रुख को विश्व मंच पर मजबूती से रखा जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह ऑपरेशन आत्मरक्षा का हिस्सा था और भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए कोई भी कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा।

प्रधानमंत्री मोदी के इस निर्णय से न केवल देशवासियों में आत्मविश्वास बढ़ा बल्कि सेना का मनोबल भी ऊँचा हुआ। युद्ध जैसी परिस्थितियों में मोदी जी ने जिस तरह से सैनिकों का साथ दिया और जनता को यह संदेश दिया कि सरकार उनके साथ है, वह वास्तव में काबिले तारीफ है। इस ऑपरेशन में आधुनिक तकनीक और रणनीति का जो समन्वय देखने को मिला, वह प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शी सोच का प्रतीक है। उन्होंने केवल राजनीतिक नेतृत्व ही नहीं बल्कि एक कर्मयोगी की तरह साहसिक निर्णय लिया। भगवद गीता का श्लोक “कर्मण्येवाधिकारस्ते” उनके हर कदम में परिलक्षित होता है। उन्होंने न केवल देशवासियों का विश्वास जीता बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की छवि को सशक्त किया। ऑपरेशन सिंदूर के सफल संचालन ने यह स्पष्ट कर दिया कि मोदी का राष्ट्रवाद केवल नारेबाजी नहीं है, बल्कि वास्तविक क्रियान्वयन का प्रतीक है। यह उनका नेतृत्व ही था जिसने भारतीय सेना को खुलकर अपनी सामरिक क्षमता दिखाने का अवसर दिया। प्रधानमंत्री ने यह साबित कर दिया कि भारत न केवल अपनी सुरक्षा के प्रति गंभीर है बल्कि अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।

भारत का सैन्य तंत्र अब पहले से अधिक सशक्त और सजग है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह सुनिश्चित किया कि सेना को अत्याधुनिक तकनीकों से सुसज्जित किया जाए। राफेल जैसे लड़ाकू विमान और ब्रह्मोस जैसी मिसाइलें हमारे रक्षा तंत्र को अद्वितीय बनाती हैं। इन अभियानों में केवल सैन्य ताकत ही नहीं, बल्कि रणनीतिक समझ और राजनीतिक इच्छाशक्ति का भी प्रदर्शन हुआ। मोदी जी का दृष्टिकोण यथार्थवादी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि शांति और अहिंसा हमारे सिद्धांत हैं, लेकिन जब देश की रक्षा की बात हो, तो भारत किसी भी प्रकार की चुनौती का माकूल जवाब देने में सक्षम है।

यह स्पष्ट दृष्टिकोण ही “ऑपरेशन सिंदूर” की सफलता का मुख्य कारण बना। “अग्निमीळे पुरोहितं यज्ञस्य देवमृत्विजम्।” (ऋग्वेद 1.1.1) का अर्थ है कि हम अग्नि का आह्वान करते हैं, जो यज्ञ का नेता है। मोदी जी ने भी इसी प्रकार राष्ट्ररक्षा के यज्ञ में अग्नि की भांति निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने केवल राजनैतिक दृष्टिकोण से नहीं बल्कि एक सच्चे राष्ट्रवादी की तरह सोचते हुए सेना के हाथ मजबूत किए। निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान न केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन था, बल्कि राष्ट्रीय गौरव और आत्मसम्मान का प्रतीक भी था।

उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि भारत का नेतृत्व जब दृढ़ हो और लक्ष्य स्पष्ट हो, तो किसी भी विरोधी को मात देना संभव है। उनका नेतृत्व राष्ट्रवाद के सच्चे अर्थ को दर्शाता है, जहाँ देशहित सर्वोपरि है और निर्णय साहसिक। प्रधानमंत्री मोदी का यह नेतृत्व भारत के लिए एक नई प्रेरणा है। उन्होंने यह साबित किया कि राष्ट्र के सम्मान की रक्षा किसी भी परिस्थिति में सर्वोपरि होनी चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर का सफल संचालन न केवल सैन्य इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है, बल्कि नरेंद्र मोदी के साहसिक नेतृत्व का भी प्रतीक है।

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