• Thu. Oct 16th, 2025

सम्पदाकीय

  • Home
  • सम्पादकीय : पत्रकारों के लिए पेंशन और आवास: एक स्वागत योग्य पहल, पर राह अभी है लंबी

सम्पादकीय : पत्रकारों के लिए पेंशन और आवास: एक स्वागत योग्य पहल, पर राह अभी है लंबी

बिहार सरकार द्वारा पत्रकारों के लिए पेंशन और आवास की घोषणा एक सकारात्मक कदम है, जो पत्रकार समुदाय के लिए एक उम्मीद की किरण लेकर आया है। यह दर्शाता है…

सम्पादकीय :बांग्लादेश का भटकता रास्ता: क्या लोगों क़ो फिर आ रही हसीना युग की याद

शेख हसीना के नेतृत्व में बांग्लादेश ने आर्थिक विकास की एक लंबी छलांग लगाई थी। पद्मा ब्रिज जैसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स और डिजिटल बांग्लादेश की पहल ने देश को प्रगति के…

सम्पादकीय : लोकतंत्र का चौथा स्तंभ: निष्पक्षता और जनता की जिम्मेदारी

अजीत अंजुम जैसे पत्रकारों पर हो रही कार्रवाई सिर्फ उन व्यक्तियों पर हमला नहीं है, बल्कि यह पूरे लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला है. हमें यह समझना होगा कि यदि मीडिया…

सम्पादकीय: “विपक्ष की उलझन: संकीर्णता की राजनीति और बिहार में नेतृत्व का संकट”

बिहार में महागठबंधन की रैली में कन्हैया कुमारऔऱ पप्पू यादव क़ो मंच पर नहीं चढ़ने देना महागठबंधन की राजनितिक जीत नहीं रणनीतिक भूल थी, इस पुरे प्रकरण में पप्पू यादव…

रूस-भारत तेल व्यापार पर अमेरिकी प्रतिबंधों का साया: भारत के लिए चुनौतियाँ और आत्मनिर्भरता की राह

अंत में यही कहना चाहूंगा कि ‘सैंक्शनिंग रशिया एक्ट ऑफ 2025’ भारत के लिए एक बड़ी चुनौती प्रस्तुत करता है, लेकिन यह हमें अपनी ऊर्जा रणनीति पर पुनर्विचार करने और…

सम्पादकीय: “भारत के संवैधानिक पदों के लिए योग्यता और आयु सीमा पर एक जरूरी विमर्श”

आज भारतीय राजनीति में एक अहम बहस छिड़ी हुई है, क्या देश के सर्वोच्च पदों, विशेषकर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों के लिए भी शैक्षणिक योग्यता और अधिकतम आयु सीमा…

सम्पादकीय: दहेज की दहशत—समाज का नैतिक पतन और मानवीय संवेदना का ह्रास

रिधान्या की आत्महत्या एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि समाज के उस खोखलेपन का प्रतीक है, जहाँ रिश्तों की नींव पैसे और संपत्ति पर रख दी गई है। विवाह, जो दो…

संपादकीय :- युद्धों का चक्रव्यूह और शांति की अनिवार्यता

आज की दुनिया को यह समझना होगा कि हम सभी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। किसी एक क्षेत्र में अशांति पूरी दुनिया को प्रभावित करती है। इसलिए, अमन-चैन के…

संपादकीय :- आतंकवाद पर मौन, आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप – भारत का OIC क़ो करारा जवाब

ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) की भूमिका पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं, खासकर पाकिस्तान से जुड़े मामलों में इसकी चुप्पी को लेकर। पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों के पनपने, जनता…

सम्पादकीय : रिश्तों का बिगड़ता स्वरूप: समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी

यह स्पष्ट है कि भारतीय विवाह संस्था एक संक्रमण काल से गुजर रही है। संवाद की कमी, विश्वास का टूटना और भावनात्मक दूरी रिश्तों को अपराध की ओर धकेल रही…