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बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकने के लिए समन्वित कार्रवाई जरूरी: डीजीपी

ByBinod Anand

Sep 11, 2025

बच्चों की तस्करी को रोकने के लिए सभी विभागों के बीच आपसी समन्वय और साझा प्रयासों की सख्त जरूरत है। यह मुद्दा किसी एक विभाग के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता, बल्कि इसके लिए समन्वित कार्रवाई अनिवार्य है।:-मालिनी अग्रवाल (पुलिस महानिदेशक, नागरिक अधिकार एवं एंटी ह्यूमन) ट्रैफिकिंग

जयपुर, राजस्थान में बच्चों की तस्करी (चाइल्ड ट्रैफिकिंग) पर प्रभावी नियंत्रण के लिए सभी विभागों के बीच समन्वय और सहयोग की आवश्यकता पर एक राज्यस्तरीय परामर्श में जोर दिया गया। जयपुर में आयोजित इस परामर्श में पुलिस महानिदेशक (नागरिक अधिकार एवं एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग) मालिनी अग्रवाल ने कहा कि केवल समन्वित कार्रवाई के माध्यम से ही बच्चों की तस्करी को रोका जा सकता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि बच्चों की सुरक्षा और पुनर्वास का मुद्दा किसी एक विभाग के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता, बल्कि इसके लिए सभी संबंधित विभागों को मिलकर काम करना होगा ताकि तस्करी से मुक्त कराए गए बच्चों को उनका खोया बचपन लौटाया जा सके।

​यह परामर्श ‘भारत में मानव दुर्व्यापार: समन्वय और रोकथाम तंत्र की मजबूती’ विषय पर जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) और राजस्थान पुलिस की नागरिक अधिकार एवं ह्यूमन ट्रैफिकिंग विरोधी शाखा के संयुक्त प्रयासों से आयोजित किया गया था। इसमें विशेषज्ञों और अधिकारियों ने बाल दुर्व्यापार, बाल विवाह और बाल श्रम के बीच के खतरनाक संबंधों पर गहन चर्चा की। वक्ताओं ने कहा कि ट्रैफिकिंग के बदलते स्वरूपों से निपटने के लिए विभिन्न हितधारकों के बीच आपसी समन्वय को और अधिक मजबूत करना आवश्यक है।​राजस्थान में बाल संरक्षण तंत्र को मजबूत करने के प्रयासों की सराहना करते हुए, परामर्श में यह भी रेखांकित किया गया कि बचाव और अभियोजन के बीच की खाई बच्चों की तस्करी से निपटने में एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

जेआरसी के महत्वपूर्ण प्रयास

​इस परामर्श में जेआरसी के राष्ट्रीय संयोजक रवि कांत ने बताया कि जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी), जो 250 से अधिक नागरिक संगठनों का एक विशाल नेटवर्क है, देश के 418 जिलों में बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए काम कर रहा है। जेआरसी ने अपने सहयोगी संगठनों की मदद से 1 अप्रैल 2024 से 30 अप्रैल 2025 के बीच देशभर में 56,242 बच्चों को ट्रैफिकिंग गिरोहों के चंगुल से मुक्त कराया और 38,353 से अधिक मामलों में कानूनी कार्रवाई शुरू की।

​राजस्थान में जेआरसी 24 सहयोगी संगठनों के साथ 39 जिलों में सक्रिय है। रवि कांत ने बताया कि अप्रैल 2023 से अब तक अकेले राजस्थान में ही जेआरसी ने 30,878 बाल विवाह रोके हैं और 8,000 से अधिक बच्चों को ट्रैफिकिंग और बाल श्रम से मुक्त कराया है। इसके अलावा, बाल दुर्व्यापार के 5,487 मामलों में कानूनी कार्रवाई शुरू की गई और यौन शोषण के शिकार 2,500 से अधिक बच्चों को भावनात्मक और कानूनी सहयोग प्रदान किया गया।

अन्य वक्ताओं के विचार

​परामर्श में मौजूद राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (आरएसएलएसए) के सदस्य सचिव हरिओम अत्री ने कहा कि “प्रत्येक बच्चा समाज की साझा जिम्मेदारी है” और बच्चों के खिलाफ अपराधों में कोई ढील नहीं दी जा सकती।
​बाल अधिकारिता विभाग (डीसीआर) के आयुक्त आशीष मोदी ने बच्चों को मुक्त कराने के साथ-साथ उनके पुनर्वास पर भी समान रूप से ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पुलिस और स्वयंसेवी संगठनों के संयुक्त प्रयास बच्चों के विरुद्ध अपराधों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और पुनर्वास सेवाओं को मजबूत करना अनिवार्य है ताकि बच्चे दोबारा तस्करी का शिकार न बनें।

​रवि कांत ने भारतीय न्याय संहिता में शामिल किए गए नए प्रावधानों की सराहना करते हुए कहा कि अब इन कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने की आवश्यकता है। उन्होंने जोर दिया कि ट्रैफिकिंग एक संगठित अपराध है और इससे निपटने के लिए समयबद्ध सुनवाई, लापता बच्चों के मामलों में त्वरित कार्रवाई और अभियोजन तंत्र को मजबूत करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

​इस परामर्श में राजस्थान पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों, आरएसएलएसए, डीसीआर, रेलवे सुरक्षा बल और जेआरसी के सहयोगी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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