भारतीय प्लेट लगभग 60 मिलियन वर्षों से उत्तर की ओर खिसक रही है और यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है। इसी टक्कर के परिणामस्वरूप हिमालय पर्वत श्रृंखला बनी। अब यह टक्कर एक नए चरण में प्रवेश कर चुकी है, जिसमें प्लेट का निचला हिस्सा अपने वजन के कारण टूट रहा है और गहराई में समा रहा है।
हा ल ही में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के भूभौतिकी विशेषज्ञ साइमन क्लेम्परर और उनकी टीम द्वारा किए गए शोध ने भारतीय उपमहाद्वीप के लिए एक नई भूगर्भीय चिंता को उजागर किया है। इस शोध के अनुसार, भारतीय टेक्टोनिक प्लेट का भारी और घना हिस्सा अब धीरे-धीरे टूटकर पृथ्वी की गहराई में समा रहा है, जिसे वैज्ञानिकों ने ‘डिलेमिनेशन’ (Delamination) नाम दिया है। यह प्रक्रिया हिमालय क्षेत्र सहित पूरे उत्तर भारत, नेपाल और तिब्बत के लिए गंभीर खतरा बन सकती है।

डिलेमिनेशन क्या है?
डिलेमिनेशन एक भूगर्भीय प्रक्रिया है जिसमें टेक्टोनिक प्लेट का घना, भारी निचला हिस्सा हल्के ऊपरी हिस्से से अलग होकर पृथ्वी की गहराई में समा जाता है। यह सामान्य प्लेट विभाजन से अलग है, क्योंकि इसमें प्लेट की आंतरिक परतें टूटती हैं न कि सतही दरारें। भारतीय प्लेट के मामले में, यह प्रक्रिया हिमालय के नीचे चल रही है, जहां भारतीय और यूरेशियन प्लेट की टक्कर पहले से ही दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वतों का निर्माण कर चुकी है।
भारतीय प्लेट का भूगर्भीय इतिहास
भारतीय प्लेट लगभग 60 मिलियन वर्षों से उत्तर की ओर खिसक रही है और यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है। इसी टक्कर के परिणामस्वरूप हिमालय पर्वत श्रृंखला बनी। अब यह टक्कर एक नए चरण में प्रवेश कर चुकी है, जिसमें प्लेट का निचला हिस्सा अपने वजन के कारण टूट रहा है और गहराई में समा रहा है।
डिलेमिनेशन के संभावित प्रभाव
1-भूकंपीय गतिविधि में वृद्धि
उत्तर भारत, नेपाल, तिब्बत और पूर्वोत्तर भारत में भूकंप की तीव्रता और आवृत्ति बढ़ सकती है। दिल्ली, देहरादून, गुवाहाटी और शिलांग जैसे शहर विशेष रूप से संवेदनशील हैं।
2. भूगर्भीय परिवर्तन
जमीन का आकार, नदियों की दिशा और पहाड़ों की स्थिति में बड़े बदलाव संभव हैं। हिमालय और तिब्बती पठार में गहरी दरारें और भू-आकृतिक बदलाव देखे जा सकते हैं।
3. जलवायु परिवर्तन
जमीन की ऊँचाई और संरचना में बदलाव से मानसून पैटर्न और जलवायु चक्र प्रभावित हो सकते हैं।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
डिलेमिनेशन जैसी घटनाएं केवल भारतीय प्लेट तक सीमित नहीं हैं. मध्य एशिया (तिब्बत): हिमालय और तिब्बत में प्लेटों की टक्कर और डिलेमिनेशन पर लगातार अध्ययन हो रहा है।
अनातोलियन प्लेट (तुर्की): हाल के भूकंपों ने टेक्टोनिक प्लेटों की जटिलता को उजागर किया है पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका: कैस्केडिया सबडक्शन ज़ोन और सैन एंड्रियास फॉल्ट में प्लेटों के नीचे जटिल प्रक्रियाएं चल रही हैं।
एंडीज पर्वत (दक्षिण अमेरिका):
यहां भी प्लेटों के आंतरिक व्यवहार और गहराई में बदलाव का अध्ययन किया जाता है। इन वैश्वि अध्ययनों से स्पष्ट है कि टेक्टोनिक प्लेटों की आंतरिक संरचना और उनका व्यवहार पृथ्वी की सतह पर बड़े पैमाने पर भूगर्भीय घटनाओं का कारण बन सकता है।
वैज्ञानिक चेतावनियाँ और भविष्य की राह
वैज्ञानिकों का मानना है कि डिलेमिनेशन की प्रक्रिया अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन यदि यह तेज होती है तो भारत और एशिया को गंभीर भूगर्भीय खतरों का सामना करना पड़ सकता है।
सावधानी और तैयारी के लिए सुझाव:
सतत भूगर्भीय निगरानी: भूकंपीय स्टेशनों और अन्य उपकरणों के माध्यम से प्लेट की गतिविधियों की निगरानी बढ़ाई जाए।
भूकंप-रोधी निर्माण: संवेदनशील क्षेत्रों में कड़े भूकंप-रोधी निर्माण मानकों को लागू किया जाए।
जन जागरूकता: जनता को संभावित खतरों के बारे में शिक्षित किया जाए और आपातकालीन तैयारियों के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जाए।
अंत में यह कहा जा सकता है कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट का डिलेमिनेशन एक गंभीर और बढ़ती भूगर्भीय चिंता है, जो आने वाले वर्षों में भारत के भूगोल, जलवायु और जनजीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकती है।
यह न केवल वैज्ञानिकों के लिए, बल्कि नीति-निर्माताओं और आम जनता के लिए भी सतर्कता का समय है। सतत अनुसंधान, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और जागरूकता ही इस चुनौती का सामना करने का रास्ता है।


