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पटना में मिथिला की कला और संस्कृति का भव्य संगम: तीन दिवसीय ‘मिथिरंग नाट्य उत्सव’ का आयोजन

ByBinod Anand

Sep 15, 2025

पटना: बिहार पटना के विधापति भवन में मैथिली कला और संस्कृति का तीन दिवसीय भव्य आयोजन, ‘मिथिरंग नाट्य उत्सव,’ 16 से 18 सितंबर तक आयोजित किया गया है।

अछिञ्जल, दिल्ली और चेतना समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस महोत्सव में तीन मैथिली नाटकों, पारंपरिक लोक नाट्य संगीत और लोक नृत्यों का प्रदर्शन किया जाएगा।

प्रतिदिन शाम 6 बजे से शुरू होने वाले इस कार्यक्रम की शुरुआत मिथिला की सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार, अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर ‘आवाहन संगीत’ और रसनचौकी वादन के साथ होगी। गुरु महेंद्र राम के नेतृत्व में रसनचौकी वादन किसी भी अनुष्ठान को पूर्णता प्रदान करने वाला माना जाता है, और इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए यह नाट्य अनुष्ठान भी इसके बिना अधूरा है।

महोत्सव के प्रमुख आकर्षण

पहला दिन (16 सितंबर):

उद्घाटन सत्र के बाद, महेंद्र मलंगिया द्वारा लिखित और अभिषेक देवनारायण द्वारा निर्देशित नाटक “टूटल तागक एकटा ओर” की प्रस्तुति होगी। रंग अभ्युदय, दिल्ली द्वारा प्रस्तुत यह नाटक जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे प्रेम, घृणा, पहचान और व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता पर आधारित है। यह इस नाटक की आठवीं प्रस्तुति है, जिसका मंचन इससे पहले सीधी, ग्वालियर, आजमगढ़ और दिल्ली जैसे शहरों में प्रमुख नाट्य समारोहों में हो चुका है।

दूसरा दिन (17 सितंबर):

यह दिन मैथिली के महान लेखक स्व. हरिमोहन झा के जन्मदिवस को समर्पित है। कार्यक्रम के पहले सत्र में, उन पर केंद्रित एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया जाएगा, जिसके बाद उनके ही कहानी संग्रह ‘पंच पत्र’ पर आधारित नाटक “सुनिते करय हरान” का मंचन होगा। महेंद्र मलंगिया द्वारा नाट्य रूपांतरित और अभिषेक देवनारायण द्वारा निर्देशित यह नाटक अछिञ्जल, दिल्ली के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा। यह इस नाटक की छठी प्रस्तुति है।

तीसरा दिन (18 सितंबर):

अंतिम दिन कार्यक्रम दो सत्रों में विभाजित होगा। पहले सत्र में शाम 5:30 बजे से मैथिली लोक नाट्य संगीत का आयोजन होगा, जिसका संयोजन श्री यदुवीर यादव करेंगे। कल्यानपथ दायिनी, खुटौना के लोक कलाकार इस प्रस्तुति के माध्यम से एक नई परंपरा का सूत्रपात करेंगे।

दूसरे सत्र में, बजरंग मंडल के संयोजन में नारी उद्गार संस्थान, मधुबनी के कलाकार छकरबाजी नाच प्रस्तुत करेंगे। यह पारंपरिक नृत्य अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है, और पटना जैसे सांस्कृतिक केंद्र में इसकी प्रस्तुति एक महत्वपूर्ण कदम है।

अंतिम सत्र में, हिंदी नाटक ‘तमाचा’ के मैथिली रूपांतरण, “अराति द डार्क साइड” का मंचन किया जाएगा। काश्यप कमल द्वारा लिखित और प्रियंका शर्मा द्वारा निर्देशित यह नाटक भी अछिञ्जल, दिल्ली के कलाकार प्रस्तुत करेंगे।

​आयोजकों ने सभी कला प्रेमियों और पटना वासियों से अनुरोध किया है कि वे इस तीन दिवसीय नाट्य अनुष्ठान में शामिल होकर मिथिला की समृद्ध कला और संस्कृति का साक्षी बनें और अपने दोस्तों और परिवार को भी इस महोत्सव में भाग लेने के लिए प्रेरित करें। यह आयोजन मैथिली कला को बढ़ावा देने और युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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