
धनबाद : बीएड कोर्स को लेकर सरकार द्वारा बनायी जा रही नई नीति से ना सिर्फ कई प्राइवेट बीएड कॉलेज बंद हो जायेंगे बल्कि छात्रों और आध्यापन के क्षेत्र में जाने वाले छात्रों के सामने भी विकट समस्या हो जाएगी.
सरकार ने नई नीति को लेकर 8 मार्च तक सुझाव और आपत्ति को लेकर डेड लाइन जारी की है जिसका इतने कम समय में लोग आपत्ति भी दर्ज़ नहीं कर पाएंगे. साथव हीं कई सरकार की रूल बीएड कॉलेज संचालको को ऐसे संकट में डाल देंगे जिससे उन्हें बीएड कॉलेज चलाना आसान नहीं रहेगा.
इसको लेकर बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय निजी शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय संघ (BBMKU-PITCA) ने NCTE विनियमन 2025 के मसौदे में निहित मुद्दों और मौजूदा शिक्षक शिक्षा संस्थानों और शिक्षक शिक्षा पाठ्यक्रम को आगे बढ़ाने की योजना बना रहे छात्रों के करियर पर इसके ऊपर पड़ने वाले प्रभाव पर प्रेस वार्ता कर चर्चा की तथा केंद्र सरकार के इस नीति को अव्यवहारिक बताते हुए कहा कि इस से कई बीएड शिक्षण संस्थान बंद हो जायेंगे. जिससे बी एड कॉलेज के कमी के कारण शिक्षा के क्षेत्र में जाने वाले छात्रों को कई दिक्क़तों का सामना करना पड़ेगा.
*क्या है नई नीति..?*
सरकार की नई नीति के अनुसार अब बीएड कोर्स एक साल का होगा. सरकार का दावा है कि इस नीति से शिक्षक बनने की राह आसान होगी. नई नीति के तहत बीएड कोर्स से जुड़े जो बदलाव किये गए हैं उसके अनुसार
अब या तो एक साल का बीएड कोर्स होगा अथवा चार साल का इंटीग्रेटेड बीएड कोर्स उपलब्ध रहेगा.दो साल के बीएड कोर्स की मान्यता 2024 से बंद कर दी गई है. 2030 तक दो साल के बीएड कोर्स को पूरी तरह खत्म करने की योजना है. अब एक साल का बीएड कोर्स वे छात्र हीं कर पाएंगे, जिन्होंने चार साल की ग्रेजुएशन की होगी या फिर पोस्ट ग्रैजुएशन के बाद वे इस कोर्स के लिए एलिजिबिल होंगे.
*राष्ट्रीय शिक्षा नीति में क्या है..?*
(NEP-2020) के तहत चार वर्षीय इंटीग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम (ITEP) को भी लागू किया गया है. इस बदलाव का मकसद शिक्षक बनने की राह आसान करना, क्वालिटी में सुधार करना, इसे प्रोफ़ेशनल टीचर एजुकेशन प्रोग्राम बनाना है.इसको लेकर पिछले 11 फरबरी 2025 नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) की आम सभा की बैठकों में ड्रॉफ्ट रेगुलेशन 2025 को मंजूरी मिल गई है.
*सरकार के इस नीति का निजी शिक्षण संस्थान क्यों विरोध कर रहे हैं..?*
अब अगर सरकार द्वारा निर्धारित नए नीति का अनुसरण किया जाये तो सभी बीएड कॉलेज को अपनी जमीन और इंफ़्रा स्ट्रक्चर का विस्तार करना होगा. नए नियम के अनुसार जिस बीएड कॉलेज को जमीन कम से कम 3 एकड़ जरुरी था उस जमीन को 5 एकड़ या 7 एकड़ करना पड़ सकता है. जो पहले से चल रहे निजी संस्थान के आस पास मिलना संभव नहीं है.
क्योंकि किसी भी शिक्षण संस्थान के अगल बगल में कोई प्लॉट खाली नहीं रह गया है, मौजुदा बीएड कॉलेज के संचालक जितना वर्तमान संस्थान में खर्च कर चूका है, दूसरे जगह नए सिरे से जमीन खरीद कर फिर से उस पर पूरा स्ट्रक्चर खड़ा करना मुमकिन नहीं है.
इसके साथ हीं पहले इन संस्थान को गारंटी मनी के रूप में एक अपना संस्थान का एकाउन्ट खोल कर लगभग 7 लाख रूपये रखने होते थे ताकि इन संस्थानों की विश्वस्नीयता बनी रहे. और इन जमा राशि में राष्ट्रीय शिक्षा परिषद द्वारा अपने प्रतिनिधि या मनोनीत पदाधिकारी की निगरानी होती थी.अब नए नीति में इन संस्थानों को इसके तिगुना राशि अब राष्ट्रीय शिक्षा परिषद के एकॉउंट में जमा करना होगा और इसके व्याज पर से वे अपने संस्थान का डेवलप नहीं कर सकेंगे जिससे बीएड कॉलेज संचालको को आपत्ति है. साथ ही अगर इंटीग्रेटेड चार साल की कोर्स शुरू करने के लिए उन्हें फैकल्टी खोलना होगा जिसमे बीए, बीएससी बीकॉम के लिए अतिरिक्त शिक्षक, भवन और प्रयोगशालायें बनानी होगी जिसका बोझ अब बड़े बड़े उद्योगपति या बिजनेस घराना उठा सकेंगे.
ऐसे हालात में कई बीएड कॉलेज बंद हो सकते हैं.अगर बीएड कॉलेज बंद होते हैं तो इन संस्थान से जुड़े लोगों की रोजगार छीन जाएगी, और सर्वसधारण इस विषय से शिक्षा हासिल नहीं कर सकेंगे.
दुर्भाग्य तो है कि सरकार नए कॉलेज नहीं खोल पा रहे हैं, प्राइवेट कॉलेज के भरोसे हीं टेक्निकल शिक्षा चल रही है. लेकिन सरकार के इस नीति से क्षुब्ध प्राइवेट संस्थान चलाने वाले ने अपनी विवशता दर्शाते हुए कहा कि इसे बंद करना होगा.
इस बैठक में बीबीएमकेयू निजी शिक्षक संस्थान के प्रतिनिधि उपस्थित थे.
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