
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कृषि और ग्रामीण विकास के लिए बजटीय प्रस्तावों के शीघ्र कार्यान्वयन का आह्वान किया और हितधारकों से नये बजट पर विचार-विमर्श करने के बजाय ‘कार्रवाई’ पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया.
बजट के बाद ‘कृषि और ग्रामीण समृद्धि’ पर आयोजित वेबिनार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि यह बजट सरकार के तीसरे कार्यकाल में एक सुसंगत नीतिगत दृष्टिकोण के साथ ‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण के नए विस्तार को दर्शाता है.
मोदी ने कहा, “इस वर्ष के बजट को तेजी से क्रियान्वित करना महत्वपूर्ण है. बजट तैयार हो चुका है और हमारा पूरा ध्यान कार्रवाई पर होना चाहिए.” उन्होंने कहा कि हितधारकों को बजट कार्यान्वयन में ‘बाधाओं और कमियों’ की पहचान करनी चाहिए. मोदी ने कहा कि बजट से पहले सभी हितधारकों से मिली सूचनाओं और सुझावों से इसे तैयार करने में मदद मिली.
उन्होंने कहा, “अब इस बजट को जमीनी स्तर पर और अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने की जरूरत है. …और बेहतर परिणाम के लिए, (हितधारकों की) भूमिका और भी महत्वपूर्ण है.” उन्होंने कहा कि कृषि को वृद्धि का पहला इंजन माना जाता है और सरकार कृषि वृद्धि और ग्रामीण समृद्धि हासिल करने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है.
मोदी ने कहा कि “सरकार ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध है और हमारा प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी किसान पीछे न छूटे तथा प्रत्येक किसान आगे बढ़े.”उन्होंने कहा, “हमें देश की कृषि क्षमता का पूर्ण उपयोग करने तथा अधिक लक्ष्य हासिल करने की आवश्यकता है.”
प्रधानमंत्री ने कृषि क्षेत्र में रिकॉर्ड उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि खाद्यान्न उत्पादन एक दशक पहले के 26.5 करोड़ टन से बढ़कर वर्तमान में 33 करोड़ टन से अधिक हो गया है। इसी तरह, बागवानी उत्पादन भी बढ़कर 35 करोड़ टन से अधिक हो गया है.
मोदी ने विशेष रूप से प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना का उल्लेख करते हुए इसे अपने लिए ‘बहुत महत्वपूर्ण योजना’ बताया। यह पहल आकांक्षी जिलों के सफल मॉडल का अनुसरण करते हुए कम फसल पैदावार वाले 100 जिलों पर ध्यान केंद्रित करेगी. उन्होंने कहा, “हमने बिहार में मखाना बोर्ड की स्थापना की घोषणा की है. मैं सभी हितधारकों से आग्रह करता हूं कि वे देश भर में और वैश्विक बाजार में विविध पोषण युक्त खाद्य पदार्थों की खोज करें और उन्हें बढ़ावा दें.”
प्रधानमंत्री ने आईसीएआर के योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 2014 से 2024 के बीच प्रजनन कार्यक्रम में आधुनिक उपकरणों और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करके खाद्यान्न, दालों, गन्ने और अन्य फसलों की 2,900 से अधिक नई किस्में विकसित की गईं.
मोदी ने कहा, “आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि ये नई किस्में किसानों को सस्ती दरों पर उपलब्ध हों. हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि किसानों की उपज मौसम संबंधी अनियमितताओं से प्रभावित न हो.” उन्होंने बताया कि बजट में उच्च उपज वाले बीजों पर एक केंद्रीय मिशन की घोषणा की गई है. प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं विशेष रूप से निजी क्षेत्र से आग्रह करता हूं कि वे बीज श्रृंखला का हिस्सा बनें ताकि उच्च उपज वाले बीज छोटे किसानों तक पहुंच सकें.”
दालों के उत्पादन के बारे में प्रधानमंत्री ने सुधार की बात स्वीकार की, लेकिन बताया कि भारत अभी भी अपनी घरेलू खपत की 20 प्रतिशत जरूरतें आयात करके पूरी करता है. जहां देश ने चना और मूंग दाल के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है, वहीं मोदी ने उच्च उपज देने वाली किस्मों और संकर बीजों के माध्यम से अरहर, उड़द और मसूर का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया.
प्रधानमंत्री ने कहा कि छह साल पहले पीएम-किसान योजना की शुरुआत के बाद से अब तक 11 करोड़ किसानों को लगभग 3.75 लाख करोड़ रुपये सीधे हस्तांतरित किए जा चुके हैं.
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