नवादा:-मेसकौर प्रखंड में पशु चिकित्सा केन्द्र बंद रहने से ग्रामीणों को भारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। प्रखंड में पशु चिकित्सक की स्थिति विगत कई वर्षो से दयनीय होती जा रही है। पशुपालन चिकित्सा विभाग के अधिकारी केवल कागजी कोरम पूरा कर करे है, जिससे यहां के हजारों पशुपालको को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
पशुओं की बीमार होने पर निजी पशु चिकित्सक के पास जाना मजबूरी हो जाता है। प्रखंड के दर्जनों पशुपालकों ने बताया कि पशु अस्पताल मेसकौर आने पर कभी भी डॉक्टर या कोई कर्मी नहीं मिलते हैं। हमेशा अस्पताल के दरवाजे पर ताला लटका हुआ रहता है।जबकि विभाग के अधिकारी कागजो पर अपनी ड्यूटी पूरा कर अस्पताल से नदारद रहते है। पशुपालक कटघरा गांव निवासी विनोद सिंह, गंगाबारा निवासी नरेश यादव, पसाढ़ी गांव निवासी सुनील यादव ने बताया कि
मेसकौर पशु अस्पताल में एक स्थाई डॉक्टर एवं दो कर्मी पदस्थापित है। बावजूद अस्पताल बंद हमेशा रहता है।चिकित्सक व कर्मी के बराबर अनुपस्थित रहने के कारण पशु अस्पताल नहीं खुल पा रहा है।
पशु पालकों को काफी दिक्कतें होती है।इधर पशुपालक ललित मिश्रा,संजीव कुमार, रूपेश कुमार, विकेश द्विवेदी, सौरभ कुमार, रजनीश कुमार का कहना है कि प्रखंड के पशु चिकित्सालय का प्रतिदिन खुलना जरूरी है। जिससे बीमार पशुओं का उपचार पशुपालक समय से करा सकें। ग्रामीणों को निजी डाक्टर से महंगा इलाज न कराना पड़े।
कटघरा निवासी बिनोद सिंह ने बताया कि मेरी गाय चार दिन पहले दो जुड़वा बछिया को जन्म दी है। गाय अभी तक आधा औरा हरी है।
जबकि आधा औरा उसके पेट में ही है उसको निकलवाने के लिए मेसकौर पशु अस्पताल के डॉक्टर अमित कुमार को फोन करके कहे तो वो मुन्ना कर्मी से बात करने के लिए बोले उनके आदेशानुसार ज़ब कर्मी मुन्ना को इलाज के बारे में बताया तो गाड़ी नहीं होने का बहाना लगाकर इलाज के लिए नहीं आया। फिर थक हार कर डायल 1962 पर कॉल किये वहाँ उपस्थित कर्मियों के द्वारा बताया गया की मेरा केस नंबर 34 बताया गया फिर भी आजतक गाड़ी भी नहीं आया है।
हालांकि प्रखंड पशुपालक चिकित्सा पदाधिकारी अमित कुमार ने कहा कि अस्पताल प्रतिदिन खुलता हैं।
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