• Mon. Mar 17th, 2025

लखीसराय के इलाके में कई सारे हजार बारह सौ पुराने मूर्तियों के अवशेष पाए गए, जिलाधिकारी ने किया निरीक्षण।

ByBiru Gupta

Mar 6, 2025

 

 

 

लखीसराय (सुजीत कुमार)- गुरुवार 6 मार्च 2025 की दोपहर जिलाधिकारी मिथलेश मिश्र चानन प्रखंड प्रखंड के उन तमाम जगहों का निरीक्षण किया जहां मूर्तियों के पुराने अवशेष हैं और जिसे लखीसराय के संग्रहालय में रखा जाना है। जिलाधिकारी सर्वप्रथम अजगैवी बाबा श्रृंगारी नाथ मंदिर पचाम पहुंचे। वहां माता पार्वती की मूर्ति के साथ शिवलिंग का निरीक्षण किया। इसको लेकर ग्रामीण रामदास यादव ने बताया कि यह 150 साल यह मूर्ति है इसकी कहानी मेरे पिता ने मुझे सुनाई थी आज मेरी उम्र 70 वर्ष का है। मेरे पिता ने कहा था कि शर्मा का कोई व्यक्ति इसे ले जाने आया था और इसे हाथी से खिंचवाया पर नहीं हिल पाया। दूसरी और उत्क्रमित मध्य विद्यालय गोड्डी मे पुराने मूर्ति का अवशेष देखा गया,इसके उपरांत गोड्डी हनुमान मंदिर में पड़े कई सारे अवशेष का भी निरीक्षण किया। जिलाधिकारी ने बताया कि क्षेत्र काफी प्राचीन और पुरातत्विक महत्व का है। कनिंगम की रिपोर्ट में 200 साल पहले इस गढ़ का चर्चा किया गया है इसको लेकर फिजिकल भेरीफिकेशन किया गया।भेरीफिकेशन में पाया की किऊल बस्ती के ठीक सामने 30 फीट ऊंचा गढ़ आज भी यहां पाया गया है। सर्वे खतियान में भी गढ़ के नाम से है। वही स्ट्रक्चर अभी मिट्टी से ढका हुआ है। गांव में लोगो ने बताया कि दूसरा भी गढ़ था जहां खुदाई हुई है जहां से कुछ मूर्तियां मिली हैं और मूर्तियां एक मंदिर में रखी गई है उन मूर्तियों का अवलोकन किया गया मूर्तिया टूटी हुई अवस्था में है। हम लोग श्रद्धा बस उसकी पूजा करते हैं लेकिन वह मूर्तियां पुरातात्विक महत्व से काफी महत्वपूर्ण है अगर उन मूर्तियों को संग्रहालय में रखा जाए और लोगों को इसके बारे में बताया जाए तो लोगों को पुरातात्विक के बारे में एक अच्छी जानकारी मिलेगी और क्षेत्र में पुरातात्विक की अच्छी समझ लोगों को मिलेगी। ग्रामीणों के सहयोग से इस संग्रहालय में रखा जाएगा इसकी रिपोर्ट अंचल अधिकारी के माध्यम से तैयार की जा रही है। दूसरी ओर विश्व भारती शांति निकेतन के पुरातत्व के प्रोफ़ेसर अनिल जी ने बताया कि पुरातात्विक महत्व की जो भी मूर्तियां हो या अवशेष हो उनके लिए संग्रहालय ही सबसे उचित जगह होती हैं। हम लोग भाग्यशाली है कि लखीसराय में एक संग्रहालय बनकर तैयार है अगर ऐसी मूर्तियां है और मंदिर नहीं है तो उन्हें संग्रहालय में ही रखा जाए वह वहां सुरक्षित भी रहेंगी और ऐसे में उनका एक वैश्विक प्लेटफार्म भी बनता है, लोग आएंगे और उन्हें देखेंगे तो लोगों आपके जिले का गांव का भी नाम जानेंगे। ये सारे ब्लेक स्टोन की मूर्तियां है यह मूर्तियां ग्यारवी बारहवीं तेरहवीं शताब्दी की है ये आज से हजार बारह सौ वर्ष पुरानी है। और यह टुकडे हैं हम लोग जानते हैं कि हिंदू धर्म में टूटे हुए मूर्ति की पूजा नहीं करते हैं ये वर्जित है। इन्होंने कहा कि मैं लोगों से कहता हूं कि अगर तरीके का अवशेष है तो लोग उन्हें संग्रहालय में समर्पित करें।


There is no ads to display, Please add some
Post Disclaimer

स्पष्टीकरण : यह अंतर्कथा पोर्टल की ऑटोमेटेड न्यूज़ फीड है और इसे अंतर्कथा डॉट कॉम की टीम ने सम्पादित नहीं किया है
Disclaimer :- This is an automated news feed of Antarkatha News Portal. It has not been edited by the Team of Antarkatha.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *