मकर संक्रान्ति एक ऐसा त्यौहार है जो पूरे भारत देश में मनाया जाता है। लेकिन अलग-अलग जगहों पर इस पर्व को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इस त्यौहार को पौष मास में जब सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है तब मनाया जाता है। यह पर्व जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन पर पड़ता है। इसी दिन से सूर्य की उत्तरायण गति भी शुरू हो जाती है। जिस वजह से इस त्यौहार को कहीं जगह पर उत्तरायणी भी कहा जाता है।
*इसका हमारे जीवन में सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृति और आध्यात्मिक महत्व भी है। चलिए जानते हैं देश के विभिन्न हिस्सों में मकर संक्रांति को किस नाम से जाना जाता है और इसे कैसे मनाया जाता है।*
*उत्तर प्रदेश*
उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति के पर्व को दान का पर्व कहा जाता है। मान्यता है कि मकर संक्रांति से पृथ्वी पर अच्छे दिनों की शुरुआत होती है। मकर संक्रांति के दिन स्नान के बाद दान देने की परंपरा है। इस दिन गंगा घाटों पर मेलों का भी आयोजन किया जाता है।
*पंजाब और हरियाणा*
पंजाब और हरियाणा में इसे 15 जनवरी से एक दिन पहले ही मनाया जाता है। वहां पर इसे ‘लोहड़ी पर्व’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन अग्निदेव की पूजा करते हुए तिल, गुड़, चावल और भुने मक्के की अग्नि में आहुति दी जाती है। यह पर्व नई दुल्हनों और नवजात बच्चों के लिए बेहद खास होता है।
*पश्चिम बंगाल*
बंगाल में इस पर्व को पौष संक्रान्ति के नाम से मनाया जाता है। इस दिन यहां स्नान करके तिल दान करने की प्रथा है। यहां गंगासागर में प्रति वर्ष विशाल मेला लगता है। कहा जाता है इसी दिन ही गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं। इस दिन लाखों लोगों की भीड़ गंगासागर में स्नान-दान के लिये जाते हैं।
*सकरात, बिहार*
बिहार में मकर संक्रांति को सकरात या ‘खिचड़ी पर्व’ के नाम से जाना जाता है। यहां उड़द की दाल, चावल, तिल, खटाई और ऊनी वस्त्र दान करने की परंपरा है।
*बिहू, असम*
असम में इसे माघ बिहू और भोगाली बिहू के नाम से जानते हैं. वहीं, तमिलनाडू में तो इस पर्व को 4 दिनों तक मनाते हैं। यहां पहला दिन ‘भोगी पोंगल’, दूसरा दिन ‘सूर्य पोंगल’, तीसरा दिन ‘मट्टू पोंगल’ और चौथा दिन ‘कन्या पोंगल’ के नाम से जाना जाता है।
*उत्तरायण, गुजरात*
गुजरात में लोग संक्रांति के त्योहार को उत्तरायण के रूप में मनात हैं। इस त्योहार के मौके पर गुजरात अपने ‘काइट फेस्टिवल’ के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। सुबह पूजा-पाठ और दान-पुण्य के बाद लोग अपने-अपने छतों पर जाकर पतंग उड़ाते हैं। इस दौरान आपको हर जगह “काई पो छे” की आवाज सुनाई देगी। इस दिन सर्दियों की सब्जियों से बनी उंधियू के साथ तिल और मूंगफली से बनी चिक्की जैसे व्यंजन भी खाते हैं।
*सक्रांत- राजस्थान*
राजस्थान में लोग संक्रांति के त्योहार को मकर संक्राति के रूप में मनाते हैं। इस मौके पर लोग तिल के बने लड्डू और पकौड़े जैसे व्यंजन खाते हैं। इसके अलावा इस दिन खूब पतंगबाजी होती है।
*उत्तरायणी- उत्तराखंड*
उत्तराखंड में मकर संक्रांति को उत्तरायणी या गुघुती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पुरी, वड़े और पुवे को गुघुती (एक तरह का पकवान) बनाए जाते हैं। इसे प्रवासी पक्षियों के स्वागत का त्योहार माना जाता है। इस दिन लोग खिचड़ी और अन्य खाने की चीजों का दान करते हैं। लोग आटे और गुड़ से बनी मिठाईयां भी बनाते हैं, जिसे बच्चों द्वारा कौवों को दिया जाता है। इसके अलावा कौवे को पुरी, वड़े और पुवे भी खिलाया जाता है. स्थानीय लोगों का मानना है कि जो बच्चा सबसे पहले कौवे को खाना खिलाता है वह सबसे भाग्यशाली होता है।
*साजी संक्रांति – हिमाचल प्रदेश*
हिमाचल प्रदेश में, स्थानीय लोग माघ साजी को मकर संक्रांति के रूप में मनाते हैं। साजी संक्रांति का स्थानीय नाम है और माघ महीने का नाम है। इस दिन, लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिरों में जाते हैं। इसके अलावा, वे अपने दोस्तों और परिवार के पास जाते हैं और उन्हें चिक्की या खिचड़ी और घी जैसी मिठाई उपहार में देते हैं। शाम को लोग लोक गीत गाकर और नृत्य करके जश्न मनाते हैं।
*मकर चौला- ओडिशा*
ओडिशा में लोग देवी-देवताओं को नैवेद्य के लिए मकर चौला या कच्चा चावल, नारियल, गुड़, केला, तिल, रसगोला, खाई का हलवा तैयार करते हैं। भक्त इस दिन कोणार्क मंदिर में भगवान सूर्य की पूजा भी करते हैं।
*मकर संक्रमण- कर्नाटक*
कर्नाटक में मकर-सक्रांति को मकर संक्रमण या सुग्गी के नाम से बुलाते हैं। यहां भी इसे किसानों का त्योहार यानी फ़सल का त्योहार माना जाता है। इस मौके पर मूंगफली और नारियल को गुड़ के साथ मिलाकर तिल से बने पकवानों के साथ खाते हैं।
*पेद्दा पांडुगा, आंध्र प्रदेश*
आंध्र प्रदेश में मकर संक्रांति को पेद्दा पांडुगा भी कहते हैं। इस दिन महिलाएं घरों के आगे रंगोली सजाती हैं और पारपंरिक भोजन जैसे पुलिहोरा, अरसेलु, बोबाटुल्लू, परमन्नम जैसे व्ंयजन तैयार करते हैं।
*हंगराय, त्रिपुरा*
त्रिपुरा संक्राति को हंगराय के रुप में मनाता है, जिसे पहले पवित्र नदी गुमती में पूर्वजों के अवशेषों के विसर्जन का जश्न मनाने के लिए त्योहार के रुप में मनाते हैं।
*मकरविलक्कु-केरल*
केरल में इस दिन को मकरविलक्कु कहा जाता है। भगवान अय्यपन के मंदिर सबरीमाला में मकर संक्राति को मकरविलक्कु के नाम से मनाया जाता है। इस दिन जुलूस निकाला जाता है और लाखों की संख्यां में लोग मंदिर में जुटकर पूजा में भाग लेते हैं।
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