झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की बढ़ती लोकप्रियता और भाजपा के घटते जनाधार को रोकने के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंकने का फैसला किया है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अभी वक्त है, लेकिन प्रदेश भाजपा से लेकर बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व अभी से हेमंत सोरेन के बढ़ते कद से परेशान हो गया है.
यही वजह है कि झारखंड में केंद्रीय मंत्री अमित शाह अपने प्रस्तावित एकदिवसीय दौरे के बाद भी भाजपा के अंदर कॉन्फिडेंस की कमी को दूर करने को लेकर लगातार बड़े कदम उठा रहे है. बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व समझ रहा है कि कोरोना काल की बात हो या बीते एक साल में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा लिए गए बड़े और ऐतिहासिक फैसले हो, मौजूदा समय में सीएम हेमंत सोरेन राज्य में सबसे लोकप्रिय नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाने में सफल साबित हुए है.
भाजपा के तमाम प्रयासों के बावजूद सीएम हेमंत सोरेन की छवि को ज्यादा नुक्सान नहीं हुआ है. बल्कि जानकार तो यहां तक कह रहे है कि राज्य में हेमंत सरकार के खिलाफ जारी केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई से कहीं ना कहीं हेमंत सोरेन को ही इसका लाभ मिलता दिख रहा है. क्योंकि राज्य का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो ये मानने लगा है कि केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई एकतरफा की जा रही है. और ये सारा प्रयास हेमंत सोरेन की सरकार को अस्थिर करने के मकसद से ही किया जा रहा है.
ऐसे में अपने वजूद को बचाये रखने और सीएम हेमंत सोरेन के विजय रथ को रोकने के लिए भाजपा ने ख़ास रणनीति तैयार की है. इसके तहत केंद्रीय मंत्री अमित शाह के चाईबासा दौरे के बाद राज्य के हर जिले में एक-एक केंद्रीय मंत्रियों के प्रवास की भी योजना तैयार की जा रही है. प्रदेश भाजपा प्रवास कार्यक्रमों की सूची को अंतिम रूप देने में जुटी है. कौन केंद्रीय मंत्री, किस दिन, किस जिले में प्रवास करेगा? इसका पूरा खाका तैयार किया जा रहा है. इसके अलावा आरएसएस के प्रचारकों और विस्तारको को भी राज्य में लगाया जा रहा है. ताकि सीएम हेमंत सोरेन के आगे कमजोर पड़ चुकी भजपा को मजबूत किया जा सके.
जाहिर है, 2024 से पहले भाजपा के प्रदेश स्तर से लेकर केंद्रीय स्तर तक के नेता, तैयारियों में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखना चाहते है. ऐसे में देखना होगा कि भाजपा झारखंड में सीएम हेमंत सोरेन के विजय रथ को रोक पाने में कामयाब हो पायेगी, या 2024 में भी झारखंड में बीजेपी को निराशा ही हाथ लगेगी.