
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्तर पर चार सौ पार के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रही भाजपा के लिए बिहार के संदर्भ में राहत की खबर है। रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) पर कब्जे के लिए चाचा पशुपति पारस और भतीजा चिराग पासवान के बीच अरसे से जारी घमासान का पटाक्षेप हो गया। हाजीपुर संसदीय सीट एवं पार्टी पर संपूर्ण कब्जे को लेकर जिद्द पर अड़े भतीजे चिराग पासवान की जीत हुई। उनकी सारी शर्तें भाजपा ने मान ली।
नड्डा और चिराग के बीच संवाद
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा एवं चिराग के बीच बुधवार को नई दिल्ली में लंबी बातचीत के दौरान सारी गुत्थियों को सुलझा लिया गया। अब एनडीए के घटक दलों के बीच बिहार में सीटों का बंटवारा शीघ्र हो सकेगा। चिराग को चार से पांच सीटें मिल सकती हैं। साथ ही हाजीपुर की सीट भी उनके पास ही रहेगी। हाजीपुर पर दावा करते आ रहे केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस को निराशा हाथ लगी है। नड्डा और चिराग के बीच संवाद की बातें तो बाहर नहीं आ सकी हैं, लेकिन मीडिया से बातचीत में चाचा पारस का नाम लिए बगैर चिराग ने कहा कि वह मेरी चिंता में नहीं हैं।
सहयोगी दलों की संख्या ज्यादा
यह भी स्पष्ट कर दिया कि मेरे कोटे में किसी की सीट नहीं है। गठबंधन के तहत मुझे जो सीटें दी गई हैं, वे सबके सब मेरी हैं। किसी के साथ क्या होगा इसकी मुझे जानकारी नहीं है।सूत्रों का दावा है कि भाजपा ने अभी तक पारस से कोई वादा नहीं किया है, लेकिन माना जा रहा है कि उन्हें बाद में भाजपा अपने कोटे से राज्यसभा भेज सकती है पिछली बार लोजपा को लोकसभा की छह सीटों के साथ एक सीट राज्यसभा की दी गई थीं। इस बार सहयोगी दलों की संख्या ज्यादा होने के चलते चिराग के कोटे में एक या दो सीटों की कटौती संभव है।
इन पर सबसे ज्यादा खतरा
लोजपा में टूट के बाद चिराग को छोड़कर सभी सांसद पारस के साथ चले गए थे। अब भाजपा के साथ चिराग के समझौते के बाद लोजपा के सांसदों के सामने धर्मसंकट की स्थिति आ गई है, क्योंकि चिराग उन्हें माफ करने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं हैं। हालांकि वैशाली की सांसद वीणा देवी ने पहले ही पारस का साथ छोड़कर चिराग के साथ खड़ी हो चुकी हैं। खगडि़या के सांसद महबूब अली कैसर को भी चिराग माफ कर सकते हैं। सबसे ज्यादा खतरा सूरजभान के भाई एवं नवादा से सांसद चंदन कुमार सिंह तथा समस्तीपुर के सांसद प्रिंस राज पर हो सकता है।
चिराग के साथ बिहार में आगे बढ़ेगी भाजपा
चिराग के चचेरे भाई प्रिंस ने पार्टी में टूट के दौरान पारस का साथ दिया था। चिराग ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने कोटे की सीटों में पार्टी तोड़कर जाने वाले किसी को भी स्वीकार नहीं करेंगे।भाजपा के शीर्ष स्तर पर पिछले कई दिनों से पासवान परिवार में सुलह कराने का प्रयास किया जा रहा था। कोशिश थी कि चिराग अपने पिता रामविलास की संसदीय सीट हाजीपुर पर से दावा छोड़ दें, ताकि उसपर पारस को प्रत्याशी बनाया जा सके। बाद में पूर्व मंत्री मंगल पांडेय को इस काम में लगाया गया। फिर भी चिराग नहीं माने। अंतत: भाजपा ने चिराग के साथ आगे बढ़ने का निर्णय लिया।
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