
संवाददाता :नरेश विश्वकर्मा
निरसा :आज भागवत कथा का सातवा दिन सच्चा मित्र वही है, जो प्रेम और स्नेह के साथ अपने मित्र का सम्मान करता है – पूज्य सुरेन्द्र हरिदास जी महाराज
आज की कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री ने भक्तों को बताया कि मानव को अपने मन पर पूर्ण नियंत्रण रखना चाहिए, क्योंकि मन ही वह कारक है जो हमें सही और गलत के बीच मार्ग दिखाता है।
कुछ हिन्दू ही सनातन धर्म को अपमानजनक रूप से कोरोना और डेंगू जैसी बीमारियों से जोड़ते हैं, जो न केवल अनुचित है, बल्कि अत्यंत चिंता का विषय भी है। ऐसे व्यक्तियों और राजनीतिक दलों को किसी भी प्रकार का समर्थन या वोट नहीं देना चाहिए ।
देश में जितने अधिक सनातनी होंगे, उतना ही हमारा देश सुरक्षित रहेगा। सनातन धर्म भारत की आत्मा है और इसकी रक्षा करना प्रत्येक सनातनी का कर्तव्य है। जहां सनातनी कम होंगे, वहां समस्याएँ बढ़ेंगी, क्योंकि सनातन धर्म केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है, जो विश्व कल्याण का मार्ग दिखाती है।
गौ दान को अत्यंत पुण्यदायी माना गया है, जो व्यक्ति जीवन में गौ सेवा करता है और गौ दान करता है, उसे भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
बच्चों को नित्य सत्संग सुनवाना चाहिए, जिससे उनमें बचपन से ही अच्छे संस्कार विकसित हों। सत्संग से धर्म, नैतिकता, सत्य, करुणा और सद्गुणों की शिक्षा प्राप्त होती है, जिससे बालक जीवन में सन्मार्ग पर चलते हैं और समाज के लिए आदर्श बनते हैं।
जब-जब पृथ्वी पर अधर्म और पाप बढ़ता है, तब-तब भगवान स्वयं अवतार धारण कर धर्म की रक्षा और अधर्म के नाश के लिए अवतरित होते हैं। जब भी अधर्मी शक्तियाँ समाज में हावी होती हैं, तब भगवान स्वयं या उनके द्वारा भेजे गए दिव्य पुरुष धरती पर आकर सत्य और धर्म की पुनः स्थापना करते हैं।शास्त्रों में लिखा है अगर तुम धर्म की रक्षा करोगे तो धर्म भी तुम्हारी रक्षा करेगा श्रीमद् भागवत कथा के समापन दिवस की शुरुआत विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। पूज्य श्री सुरेन्द्र हरीदास महाराज ने कथा पंडाल में बैठे सभी भक्तों को भजन “प्रेम जब अनन्त हो गया मेरा रोम रोम संत हो गया श्रवण कराया।
मनुष्य को सुख की प्राप्ति होती है तो कहता है कि यह मेरी महनत का फल है और वहीं जब दुःख जीवन में प्रवेश करता है तो कहते हैं कि यह सब भगवान की गलती है। मनुष्य को सब कुछ भगवान पर छोड़ देना चाहिए क्योंकि मानव को उसके कर्मों का ही फल मिलता है। मनुष्य जब सच्चे भाव से भगवान की पूजा करते हैं तो भगवान को वह मजबूरन स्वीकार करनी पड़ती है।
अगर मनुष्य सुखी जीवन जीना चाहता है तो मनुष्य को सत्य, ख़ुशी, करुणा, दया, ईश्वर के प्रेम करना सीखना होगा इसी कारण से ही मानव के जीवन में सुख आ सकता है। कलयुग का मनुष्य धर्म को बचाने के लिए आगे नहीं आते हैं केवल जीवन में दिखावा करते हैं। इस धरती पर धर्म होगा तो यह धरती बचेगी क्योंकि भगवान भी धरती पर धर्म की रक्षा करने के लिए ही आये थे।
भगवान मनुष्य को सत्कर्म करने के लिए भेजते हैं। अपने कल्याण की चिंता स्वयं मनुष्य को करनी पड़ती है। कथा मनोरंजन के लिए नहीं बल्कि जीवन जीने के लिए की जाती है और कथा सीधा मानव भगवान से मिला देती है।
मनुष्य के हर एक कर्म का लेखा-जोखा सब भगवान के पास होता है। मनुष्य भगवान को जिस दृष्टि से देखता है भगवान भी उसको उसी दृष्टि से देखते हैं जब मनुष्य कोई भी काम कर रहा है तो उसे एक बात सोचकर करनी चाहिए कि भगवान कि दृष्टि उस पर हमेशा बनी रहती है।
शास्त्रों में लिखा है अगर तुम धर्म की रक्षा करोगे तो धर्म भी तुम्हारी रक्षा करेगा। जो सनातन के लिए कुछ भी बोलेगा उसको सामने से मुँह तोड़ जवाब दिया जायेगा। मनुष्य अगर किसी को धर्मात्मा कहे या न कहे लेकिन भगवान की नज़र में मनुष्य को धर्मात्मा होना चाहिए। क्योंकि आज का मानव केवल दिखावे के लिए ही हिन्दू बना रह गया है। लेकिन कोई भी अपने श्री कृष्ण की मुक्ति के लिए नहीं बोलेगा और ना ही कोई अपने धर्म की रक्षा के लिए सामने आएगा। कलयुग का मनुष्य वही करता है जो मन में आता है। बुरा करने से मनुष्य के साथ बुरा ही होता है इसलिए मनुष्य को हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि वह बुरी संगति में ना पड़े।शास्त्रों में लिखा है अगर तुम धर्म की रक्षा करोगे तो धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा।इस कथा को सफल बनाने वालों में बामा पद मोदक, पप्पू सिंह, राजेश मोदक ,अमरनाथ दे ,परिमल मोदक ,संजीत मोदक ,विपिन मोदक ,नारायण चक्रवर्ती,श्री निरंजन अग्रवाल,मिठु मोदक,लता बाऊरी , मुक्ता मंडल ,शिशु मंडल रीना रक्षित, प्रभात मशान,अंनता बाऊरी, षष्ठी पद कुंभकार एवं शिव शक्ति मंदिर कमिटी एवं समस्त खुशरी निरसा ग्रामवासी आदि सभी समाज के लोगों के सहयोग से किया जा रहा है।दूसरे दिन भागवत कथा का हवन जग सुबह दस बजे किया!होगा साथ महाप्रसाद का भंडारा
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