
चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के टाटा रांची मुख्य राज्य मार्ग के चिलगु जुड़िया
के सामने बाहरा दिसम बाहा बोंगा पर्व मनाया गया । यह पर्व आदिवासी समाज का एक प्राचीन त्यौहार है, जो प्रकृति की उपासना और उसके प्रति आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है।
इस पर्व में साल और महुआ के फूलों से मारांग बुरु, जाहेर आयो, मोड़ें क और बुरू बोंगा की पूजा की जाती है।
इस वर्ष का बाहा बोंगा पर्व सरायकेला जिले के चांडिल प्रखंड स्थित शहरबेड़ा में आयोजित किया गया.
यह कार्यक्रम शाम तीन बजे से शुरू किया गया जो रात 8 बजे तक चलेगा ,दूर दराज से सैकड़ों ग्रामवासी एवं महिलाए यहां पहुंच रहे हैं।
इसमें दिसिम नायके का स्वागत, पारंपरिक नृत्य, संगीत और पूजा-अर्चना किया गया सभी महिलाए बाहा पर्व में पूजा अर्चना करने के प्रश्चात लाया गया प्रसाद के रूप में साल की फूलों को अपने आंचल में ग्रहण किया गया,ओर महिलाए अपने माथे से लगाया ।
साथ ही पारंपरिक वस्त्र पहन कर मांदर ढोल नागड़ा के साथ आदिवासी महिला पुरुष नृत्य करते देखे गये।सभी अतिथियों का पारंपरिक वस्त्र देकर स्वागत किया गया।
बाबूलाल सोरेन ने बताया कि बाहा पर्व संबलता, सामाजिक एकता और संगठन की भावना को प्रकट करता है। यह पर्व आदिवासी समाज की संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
हर बर्ष कि भांति इस बर्ष भी बाहरा दिसम में चांडिल , नीमडीह, बड़ाम, पटमदा,आदि के साथ 58 गांव के लोगो द्वारा बाहरा दिसम बाहा बोंगा पर्व मनाया गया ।
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