पं. मदनमोहन मालवीय जी का जन्म 25 दिसंबर, 1861 को इलाहाबाद में हुआ था। वे भारत के पहले और अंतिम व्यक्ति थे जिन्हें ‘महामना’ की सम्मानजनक उपाधि से विभूषित किया गया।
मालवीय जी ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की।
मालवीय जी के विचारों में राष्ट्र की उन्नति तभी संभव है, जब वहां के निवासी सुशिक्षित हों। वे जीवनभर गांवों में शिक्षा के प्रचार-प्रसार में जुटे रहे। मालवीय जी का मानना था कि व्यक्ति अपने अधिकारों को तभी भलीभांति समझ सकता है, जब वह शिक्षित हो। उनका मानना था कि संसार के जो राष्ट्र उन्नति के शिखर पर हैं, वे शिक्षा के कारण ही हैं।
उनकी भविष्यवाणी थी कि एक दिन हिन्दी ही देश की राष्ट्रभाषा होगी। मालवीय जी संस्कृत, हिन्दी तथा अंग्रेजी भाषाओं के ज्ञाता थे। वे अपने सरल स्वभाव के कारण लोगों के बीच प्रिय थे। 12 नवंबर1946 को मालवीय जी का निधन हो गया था और वे देश को स्वतंत्र होते नहीं देख सके थे। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रणेता महामना पंडित मदनमोहन मालवीय को 2014 में मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ दिया गया।
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