16 दिसंबर, 1971 का दिन भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। इसी दिन पाकिस्तानी सेना ने भारत के आगे घुटने टेक दिए थे। युद्ध भारत ने जीता क्योंकि भारत के पास अरूण खेत्रपाल जैसे वीर सैनिक थे, जिनकी वजह से यह जीत मुमकिन हो पाई। भारतीय सेना के सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल ऐसे योद्धा थे, जिन्होंने भारत को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
16 दिसंबर, 1971 के दिन सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल दुश्मन के इलाके में अकेले रह गए थे। तभी सामने से 14 पाकिस्तानी टैंकों की स्क्वाड्रन ने हमला बोल दिया। अरुण अकेले ही उनसे भिड़ गए। दुश्मन के इलाके में अकेले लोहा ले रहे अरुण अरुण को वापस आने का हुक्म दिया लेकिन अरुण ने कहा कि मेरे टैंक की बंदूक अभी काम कर रही है, मैं दुश्मनों को गिराकर ही आऊंगा। यह कहने के बाद उन्होंने अपना रेडियो सेट ऑफ कर दिया जबरदस्त वीरता दिखाते हुए कई पाकिस्तानी टैंक धराशायी कर दिए। लेकिन 100 मीटर की दूरी पर बचे आखिरी टैंक का एक गोला सीधे उनके टैंक से जा टकराया और वह शहीद होगए।
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