
गोपाल कृष्ण गोखले (9 मई 1866 – फरवरी 19, 1915) भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक थे। वित्तीय मामलों की अद्वितीय समझ और उस पर अधिकारपूर्वक बहस करने की क्षमता से उन्हें भारत का ‘ग्लेडस्टोन’ कहा जाता है।
वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सबसे प्रसिद्ध नरमपंथी थे। चरित्र निर्माण की आवश्यकता से पूर्णत: सहमत होकर उन्होंने 1905 में सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी की स्थापना की ताकि नौजवानों को सार्वजनिक जीवन के लिए प्रशिक्षित किया जा सके।
महात्मा गांधी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।
गोखले की स्पष्ट और दृढ़ भावना के आगे इंजीनियर सोसाइटी की सदस्यता प्रदान की गई। यही इंजीनियर महोदय गोखले जी की दृढ़ नीति-निर्धारण के कारण राष्ट्रीय भावनाओं से ओत-प्रोत सेवा-क्षेत्र में भारत विश्रुत ‘ठक्कर बापा’ के नाम से जाने जाते हैं।
गोखले जी 1905 में आजादी के पक्ष में अंग्रेजों के समक्ष लाला लाजपतराय के साथ इंग्लैंड गए और अत्यंत प्रभावी ढंग से देश की स्वतंत्रता की वहां बात रखी। 19 फ़रवरी 1915 को गोपालकृष्ण गोखले इस संसार से सदा-सदा के लिए विदा हो गए।
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