
कहते हैं तपस्या में बैठे भगवान शिव के पसीने से नर्मदा प्रकट हुई। नर्मदा ने प्रकट होते ही अपने अलौकिक सौंदर्य से ऐसी चमत्कारी लीलाएं प्रस्तुत की कि खुद शिव-पार्वती चकित रह गए। तभी उन्होंने नामकरण करते हुए कहा- देवी, तुमने हमारे दिल को हर्षित कर दिया। इसलिए तुम्हारा नाम हुआ नर्मदा। नर्म का अर्थ है- सुख और दा का अर्थ है- देने वाली। इसका एक नाम रेवा भी है, लेकिन नर्मदा ही सर्वमान्य है।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वर्ष 2022 में नर्मदा जयंती 7 फरवरी, सोमवार को मनाई जाएगी।
ॐ जय जगदानन्दी, मैया जय आनंद कन्दी।
कहा गया है-
‘गंगा कनखले पुण्या, कुरुक्षेत्रे सरस्वती,
ग्रामे वा यदि वारण्ये, पुण्या सर्वत्र नर्मदा।’
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