भगवान का स्वरूप आनंद स्वरूप है जहां भगवान प्रकट होते हैं वहां आनंद ही आनंद होता है भगवान श्री कृष्ण का बाल स्वरूप देखने के लिए स्वयं महादेव जी पृथ्वी पर आए और गोपेश्वर कहलाए भगवान ने पूतना को माँ वाली गति प्रधान की भगवान बाहरी स्वरूप को नहीं देखते गृहस्ती जीवन के घर अगर कोई मेहमान आता है तो भगवान के बराबर होता है किसी मेहमान का अनादर होता है तो वह घर शमशान के बराबर होता है संसार की मोह निशा में सब सोय हुए हैं और संसार को सत्य मान रहे हैं यह संसार कब तक सत्य लगता है जब तक धन पैसा संपत्ति है नाता एक राम जी से दूजा नाता तोड़ दे आशा एक राम जी की दूसरी आशा छोड़ दे धन्यवाद निर्विवाद राम राम कहिए चाहे विधि राखे राम ताहि विधि रहिए यशोदा मैया ने भगवान के मुंह में पूरे ब्रह्मांड का दर्शन किया भगवान ने अपनी बाल लीलाओं से सभी को आनंदित किया भगवान गोवर्धन नाथ को छप्पन भोग लगाया गया एवं भव्य गोवर्धन नाथ की झांकी दर्शन हुए