भारतीय जीवन बीमा शाखा से मृत्यु दावा का भुगतान का पैसा पांच लाख तितालीस हजार)
एसबीआई बैंक के खाते में भुगतान हुआ था। उसका पैसा खाताधारी को ना मिलकर बैंक से ही अधिकारी के द्वारा मिली भगत करवा कर उसे पैसे को बंदर बाट कर लिया गया आज तक शाखा प्रबंधक इस मामले में नही बोल नहीं पाया।
पंकज ठाकुर
बड़कागांव l बड़कागांव के बाजार एवं मुख्यालय से बैंकों से पैसा निकालने वाले ग्राहकों की चोरी आए दिन घटित होने की आम बात हो गई है। जैसे ही खाताधारी बैंक से पैसा निकाल कर बाजार में आते हैं। कि उनका पैसा या तो लूट या तो फिर चोरी हो जाती है। चूंकि इन दिनों क्षेत्र में कंपनी से रैयतों को मुआवजे की राशि आने का सिलसिला जारी है। सूत्र से पता चलता है कि हैं कि बिना चर की चोरी नहीं हो सकती अर्थात किसके खाते में कितने पैसे आया बैंक से कब, कितना, कौन, पैसा निकल रहा है। इसकी पैनी नजर बैंक से ही शुरू हो जाती है। खाताधारी के खाते में पैसा आते ही लूटपाट, चोरी, गबन में संलिप्त लोगों की बेचैनी बढ़ने लगती है। कई घटना तो बैंक कर्मी द्वारा खाताधारी को भिन्न-भिन्न स्कीम का प्रलोभन देकर पैसे निकाल कर ठगी का शिकार करने की धंधे भी जोरों पर चल रही है। वहीं सीधे-साधे ग्रामीण इनके चंगुल में आकर बैंक से ही बैंक में राशि की हस्तांतरण करवा कर शिकार हो रहे हैं। वहीं कई ग्रामीण खातेदारी मोटी रकम बैंक से निकलकर जैसे ही बाजार में आते हैं। वैसे ही घात लगाकर या तो फिर लूट ली जाती है या फिर वाहन में रखें राशि को चोरी कर ली जाती है। विगत 19 जनवरी को एसबीआई बड़कागांव शाखा से बड़कागांव प्रखंड के सिंदुआरी निवासी मधेश्वर महतो 1,00,000 एक लाख की निकासी कर पैसे को स्कूटी के डिक्की में रख बड़कागांव मुख्य चौक के एक दुकान में सामान खरीदने लगा वैसे ही उनकी स्कूटी की डिकी से एक मोटरसाइकिल सवार पर दो चोर पैसा लेकर उड़ गए। हालाकि भुक्तभोगी द्वारा कुछ दूर तक पीछा किया गया लेकिन हाथ नहीं आया। चोरी की पूरी घटना दुकानदार के सीसी कैमरा में कैद हो गया वाजूद अब तक इस 1,00,000 चोरी की उद्वेदन नहीं हो पाई है। अब तक बड़कागांव के विभिन्न बैंकों से ग्राहकों द्वारा निकासी की गई राशि का बाजार में लूट की अधिक घटना बड़कागांव के एसबीआई बैंक के ग्राहकों का ही होना चर्चा का विषय है। क्षेत्र में चर्चा है कि आखिर सबसे अधिक उस बैंक के खाताधारियों का ही पैसा बाजार से लूट या चोरी की घटना क्यों होती है। सूत्र बताते हैं कि बिना चर की चोरी नहीं हो सकती है। अर्थात बैंक से ही पूरी निगरानी शुरू हो जाती है और बाजार में आते ही घटना का अंजाम दिया जाता है। कुछ महा पूर्व नवंबर दिसंबर में भारतीय जीवन बीमा शाखा से मृत्यु दावा का भुगतान का पैसा 5 लाख 43 हजार रुपया। ( पांच लाख तितालीस हजार) एसबीआई बैंक के खाते में भुगतान हुआ था। उसका पैसा खाताधारी को ना मिलकर बैंक से ही मिली भगत करवा कर उसे पैसे को बंदर बाट कर लिया गया आज तक शाखा प्रबंधक इस मामले में नही बोल पाया। नतीजा सामने आया कि अपना पैसा खाताधारी नहीं निकल पाया जो थाने में मामला दर्ज होने के बाद भी पुलिस की धोस दिखाकर मामला को शांत कर दिया गया प्रत्येक महीने एसबीआई बैंक से ग्राहकों का पैसा बैंक से पैसा निकाल कर नीचे आते-आते ही पैसा गायब होने का सिलसिला जारी है बैंक प्रबंधक से बात करने पर अपनी जवाब दही अपने ऊपर नहीं लेता है।
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