12 दिसम्बर 1930 भारत के स्वदेशी आंदोलन का अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। इसे आज भी स्वदेशी दिवस के रूप में याद किया जाता है। इसी दिन बाबू गेनू ने अपना बलिदान दिया था। लोकमान्य गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी के स्वदेशी और बहिष्कार के आंदोलन से प्रेरित होकर विदेश वस्त्रों से भरी लॉरी को रोकते हुए बाबू गेनू शहीद हो गए।अंग्रेजों की हुकुमत देश को आर्थिक रूप से लूट रही थी। अंग्रेज कपास, रेशम, पटसन व लोहा आदि कच्चे माल को भारत से विदेश ले जाते और लंदन से माल लाकर महंगे दामों पर बेचते। अंग्रेजों की इस कुटिल अर्थनीति को विफल करने के लिए लोकमान्य गंगाधर तिलक व महात्मा गांधी ने स्वदेशी अपनाने और विदेशी मॉल का बहिष्कार करने का अभियान चलाया।बाबू गेनू ने इसमें पूरी शक्ति से भाग लिया।इस प्रकार बाबू गेनू के बलिदान दिवस को पूरे देश में स्वदेशी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
स्वदेशी वस्तुओं को अपनाए , देश को आर्थिक गुलामी से बचाए:
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