रांची : झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से शुक्रवार को पूछा कि क्या वन विभाग के शीर्ष 20 अधिकारियों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया है और यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया है तो क्यों न उनकी संपत्ति की जांच कराई जाए. चीफ जस्टिस रवि रंजन और न्यायमूर्ति एसएन प्रसाद की पीठ ने पिछले वर्ष सितंबर में लातेहार जिले में हाथी के बच्चे की मौत के संबंध में स्वतः संज्ञान लिए गए मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की.
अदालत ने सरकार से पूछा कि क्या वन विभाग के शीर्ष 20 अधिकारियों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया है और यदि नहीं तो क्यों नहीं इन अधिकारियों की संपत्ति की जांच कराई जाए. अदालत ने राज्य में वनों और वन्य जीवों की कमी पर वन विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाई. इससे पहले राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर बताया कि ‘पलामू टाइगर प्रोजेक्ट’ में कई कदम उठाए गए हैं
अदालत ने राज्य में वनों और वन्य जीवों की कमी को लेकर वन विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि अधिकारी कोर्ट में आते हैं और बड़े बड़े दावे करके चले जाते हैं. अगर वे काम कर रहे हैं तो जंगल और जंगली जानवर संरक्षित क्यों नहीं हो पा रहे हैं. साल 2018 में पलामू टाइगर रिजर्व में पांच बाघ थे लेकिन कोई ये नहीं जानता कि मौजूदा समय में कितने बाघ हैं. राज्य सरकार वनों एवं जानवरों काे लेकर बिलकुल भी संजीदा नहीं है.
हाई कोर्ट ने वन सचिव सहित अन्य अधिकारियों को अदालत की अगली सुनवाई में पलामू टाइगर रिजर्व के नक्शे के साथ पेश होने का आदेश दिया.
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