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कृषि विज्ञान केंद्र में मनाया गया विश्व मृदा दिवस

ByAdmin Office

Dec 6, 2023

 

*अंतर्कथा प्रतिनिधि*

लखीसराय। जिले के हलसी प्रखंड स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में वरीय वैज्ञानिक सह प्रभारी डॉक्टर संभू राय की अध्यक्षता में मंगलवार को विश्व मृदा दिवस मनाया गया।जिसका संचालन वैज्ञानिक डॉक्टर रेणु कुमारी ने किया। विश्व मृदा दिवस कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक सह प्रभारी डॉक्टर संभू राय,वैज्ञानिक डॉक्टर निशांत प्रकाश,वैज्ञानिक डॉक्टर सुनील कुमार सिंह,वैज्ञानिक डॉक्टर सुधीर चंद्र चौधरी,वैज्ञानिक डॉक्टर रेणु कुमारी, आईटीसी मिशन कार्यक्रम पदाधिकारी धीरेंद्र प्रसाद सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस दौरान किसानों के बीच स्वस्थ मृदा पर चर्चा करते हुए बताया की मिट्टी की संरचना पूरी तरह से जैविक है ना की रासायनिक जिस तरह से किसी भी जीव को मरने के बाद वह पूरी तरह से सड़ जाता है और मिट्टी में तब्दील हो जाता है।इस दौर में किसान खेतों में रासायनिक खाद डाल कर खेतों को रासायनिक बना दिए है।जबकि मिट्टी की संरचना जैविक से है। मिट्टी कई प्रकार के जीवों का घर भी है जिसमे रासायनिक खाद पड़ने से वो धीरे धीरे खत्म होते जा रहे है। जिससे मिट्टी पूरी तरह से अ स्वस्थ हो रही है और मिट्टी में होने वाले पैदावार भी अच्छे नहीं हो रहे जिसके कारण लोगो को तरह तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में लोगो को जैविक खेती की ओर बढ़ना चाहिए और मृदा को स्वस्थ रखना चाहिए। वही मौके पर मौजूद प्रगतिशील किसान राजेंद्र प्रसाद महतो ने अन्य किसानों को जागरूक करते हुए कहा की आखिर हम लोगो को विश्व मृदा दिवस मानने की जरूरत क्यों पड़ी और यूनाइटेड नेशन द्वारा वैश्विक स्तर पर पांच दिसंबर को विश्व मृदा दिवस क्यों घोषित करना पड़ा,क्युकी आज के दिनो मे हम सभी किसान रसायनिक खाद,कीटनाशक इत्यादि का उपयोग मिट्टियों में कर रहे है।जिससे मिट्टी पूरी तरह से रसायनिक होती जा रही है और मिट्टी बीमार होती जा रही है,ऐसे में अगर हमारी मिट्टी ही बीमार हो जाए तो उसके पैदावार कैसे होंगे।उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा की मिट्टी बीमार ना हो इसके लिए हमलोगो को जैविक खेती की ओर बढ़ना चाहिए। वही फसल में कीड़े लगने के बाद किसान कीटनाशक का उपयोग करते है परंतु कीटनाशक की जगह हमलोग अपने घर में तैयार कर निमास्त्र,अग्नैस्त्र और ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर कीड़े को खत्म कर सकते है जिससे हमारी मिट्टी भी बीमार नही होगी और हमलोग भी स्वस्थ रहेंगे। इस संबंध में वरीय वैज्ञानिक डॉक्टर संभू राय ने बताया की पांच दिसंबर को पूरे विश्व भर में विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है और स्वस्थ मृदा पर किसानों के साथ चर्चा और जागरूक किया जाता है की मृदा को स्वस्थ कैसे रखे। अगर मृदा स्वस्थ नहीं है तो उससे होने वाले पैदावार कैसे स्वस्थ हो सकता है।जिसके कारण आज के दिनो मे लोग ज्यादा बीमार हो रहे है और अस्पताल में लंबी कतार लग रही है।ये सभी चीजों का सिर्फ एक ही कारण रसायनिक खेती है।रसायनिक खेती में किसान अलग अलग प्रकार के खाद और कीटनाशक का उपयोग करते है।जिससे हमारी मृदा बीमार और अ स्वस्थ हो रही है। पहले के दिनो मे जब धान की रोपाई होती थी तो मजदूर जब खेत में कार्य करते थे तो उनके पैर में अलग अलग प्रकार के कीड़े लटक जाते थे। जिससे मजदूर ज्यादा देर तक खेत में कार्य नहीं कर पाते थे।आज के दिनो मे मजदूर सूर्य ढलने तक लगातार कार्य करते रहते है।इससे आप अंदाजा लगा सकते है की जो भी कीड़े मृदा में रहते थे और मृदा को उर्वरक बनाए रखते थे। वो रसायन का प्रयोग होने के बाद धीरे धीरे खत्म होते जा रहे है।जिससे मृदा की उर्वरक छमता घट रही है।उन्होंने आगे कहा “जैसा अन्न,वैसा मन” जैसा अन्न हम ग्रहण करेंगे वैसा हमारा मन होगा।परंतु अगर मृदा ही स्वस्थ नहीं है तो उसके पैदावार कितने स्वस्थ होंगे। किसान को जागरूक होकर जैविक खेती अपनाना चाहिए जिससे मृदा भी स्वस्थ रहे और हमलोग भी। मौके पर जिले भर के दर्जनों महिला पुरुष किसान मौजूद रहे और अपने अपने विचारो को रखा। वही प्रखंड मुख्यालय स्थित ई किसान भवन में प्रखंड कृषि पदाधिकारी अरविंद कुमार की अध्यक्षता में विश्व मृदा दिवस मनाया गया। जहा प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों किसान मौजूद रहे।

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