साहित्य संसार : काव्य सृजन !
छत्तीसगढ़ के विलासपुर की कवयित्री रश्मिलता मिश्र की कविताओं में संवेदना और अनुभूति के सुंदर रंगों का समावेश है ! राष्ट्र , प्रकृति , समाज और जनजीवन के स्पंदन को समेटती इनकी कविताओं में मौजूद सरलता और सादगी मनप्राण को अभिभूत करती है ! दीर्घकाल से काव्य साधना में समर्पित रश्मिलता मिश्र की कुछ चुनिंदा कविताएँ यहाँ प्रस्तुत हैं !
जीवन परिचय
नाम ;-रश्मि लता मिश्रा
पति :-एम एल मिश्रा
जन्म ता 30 06 57
सेवा निवृत्त शिक्षक- डी ए वी शाला
प्रकाशन :-
दो भजन संग्रह,
काव्य संग्रह,
20 साझा संग्रह,
संपादन
अपनी अपनी अनुभूति
साहित्य कलश प्र,
सह संपादन
नवमान पब्लिकेशन।
प्रसारण दो कहानियाँ आकाशवाणी
बिलासपुर, जयपुर टीवी से जीवन परिचय,डीटीवी लाइव से कुछ रचनायें
सतमोला की चौपाल से कवि सम्मेलन आदि।
सामाजिक गतिविधि
राष्ट्रीय महासचिव, आगमन संस्था, प्रदेश अध्यक्ष- G D फाउंडेशन, आगमन,शहर समता मंच प्रयागराज,विश्व ब्राह्मण महा सभा, मातृ भाषा उन्नयन संस्था,प्रेरणा मंच
काव्य सृजन मंच मुंबई (छ ग) शाखा
उपाध्यक्ष – मानव कल्याण संस्था ,के के समाज,
प्रान्तीय प्रभारी आ भा हि सभा सलाहकार समाज शास्त्र, संपादिका काव्य रंगोली (छ ग), सह सम्पादक ,कई साझा संग्रह नवम पब्लिकेशन,
सम्मान
एम्बेसडर फ़ॉर पीस(बांग्ला देश)
M J F layan inter neshanal sanstha.
सी जी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कर कमलों से न्यायधानी गौरव सम्मान।
अन्तरराष्ट्रीय सम्मान अन्य
काव्य रंगोली (अन रा सं)
अरुणिमा स्मृति,राजभाषा,मातृत्व ममता,.अन रा मैत्री सम्मे,जयपुर भव्य , इंडियाज बेस्टीज,विविधता में एकता सम्मान। पंचम अन रा महोत्सव आगरा में
काव्य पाठ पर काव्य श्रृंगार सम्मान।
राष्ट्रीय पुरस्कार
यूथ वर्ल्ड
राष्ट्रीय रत्न।
द क्सं कर्मयोगी सम्मान।
विश्व साहित्य अकादमी विश्व पुस्तक मेले मे-काव्य गौरव सम्मान।
आगमन तेजस्विनी सम्मान।
नारायण समिति उदयपुर
नारायण सामाजिक पुरस्कार।
दिव्यांग जगत जयपुर
उम्मीद रत्न व दिव्यांग जगत
सम्मान।
स्वर्ण भारत परिवार दिल्ली
ए पी जे अब्दुल कलाम पुरस्कार,नारी शक्ति सम्मान भी।
इनके अलावा आन लाइन अन्य
पुरस्कार।
1
प्यारी लगे रात हैं !
बड़ी देख प्यारी लगे रात है।
खुशी से भरी देख ये बात है।
लगे चाँद प्यारा तभी जान लो।
रहे चाँदनी संग भी मान लो।।
नदी के किनारे खड़ी नाव है।
सजी देख सुंदर बड़ी नाव है।
बहा ले चलो आज लहरें वहाँ।
कि प्रेमी हृदय देख ठहरें जहाँ।।
हरी है धरा ओढ़ चुनरी हरी।
हँसे देख डाली कुसुम से भरी।
उड़ी देख तितली यहाँ से वहाँ।
दिखे जब कली नई खिले हो जहाँ।
2
मोहन ,मथुरा ना जाना आप….!
राधा कहे मोहन सुनो ,मथुरा न जाना आप।
बृज की गलियाँ भी कहें ,सुनके लगे ये श्राप।
जाओ नहीं बोलूँ अभी,घूँघट न खोलूँ आज।
पहले जरा है साज लो,तुम रास का ये साज।।
यमुना हुई है बावरी,देखा तिहारा रूप।
लहरें चलीं देखो मचल,देखी सुनहरी धूप।
है बाँसुरी मीठी बजी,मोहित हुआ मन जान।
सुनने कहीं तरसे नहीं,ये धुन मधुर को कान।
छलिया बड़ा है मान ले,तेरा यशोदा लाल।
करता बड़े कमाल सुनो, देखे बिना बेहाल।
मीरा बनी दासी कहे,मोहन बने भगवान।
देते सदा भक्तों सुनो,गिरधर अमर वरदान।
3
बादल किस्मत वाले..!
बड़ी मुद्दतों बाद आये हैं
बादल किस्मत वाले
मेरे अँगना छाये हैं।
घन घोर घटायें गम की
घिर आईं थी काली
दामिनी दमक रही थी
तरंगें निराशा वाली।
पिऊ पिऊ बोले पपीहा
सुन साजन तब घर आये है।
बादल किस्मत वाले,,,
फूलों से खुशबू गायब थी
और पवन से शीतलता।
झरनों में संगीत नहीं था
नदियों में न चंचलता।
शाखों पे भी पत्ते देखो
नए नए ज्यो आये हैं।
बादल किस्मत वाले,,,,
मृदु वाणी भी तीखी लागे
बात थी न कोई भाती,
नयनो से भी जल की धारा,
अविरल बहती जाती।
सुने सुने मन मे देखो
प्रीत के रंग भर आये हैं।
बादल किस्मत वाले,,,
4
खाकी वर्दी
जी हां मैं खाकी वर्दी वाला हूँ,
अपनी-अपनी नजर तो है ।
किसी की नजरों में वसूली वाला ,
तो किसी की नजर में रख वाला हूं।
मेरे कंधों पर दायित्व-
आपकी सुरक्षा का है।
सच मानिए सवाल दोनों की प्रतिष्ठा का है।
अगर मिले साथ आपका,
मैं भी संग संग चलने वाला हूँ।
विश्वास कर मेरा मुझे बताइए ,
घिरे यदि मुसीबत में पास आइए।
सदा प्रयास होगा निकालने का उससे,
आखिर मैं सेवा प्रतिज्ञा वाला हूं ।
जी हां मैं खाकी वर्दी वाला हूँ।
5
सत्यजीत रे
रचना सुकुमार सुप्रभा के कुमार ,
लाड़ले बंगाली अहीर परिवार।
सुलेख संगीत कंपोजर निर्देशक,
फिल्म लेखक प्रकाशक चित्रकार।
डॉक्यूमेंट्री लघु फिल्म सहित,
छत्तीस फिल्मों की दी बहार।
योग्यता के दम पर ही देखो ,
बत्तीस ने झटके राष्ट्रीय पुरस्कार।
छै पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक सहित ,
मिला लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार ।
कद छै फुट चार इंच का पाया,
विश्व सिनेमा का ऊंचा संसार।
नम्र स्नेही बड़े कदवाले ने,
ऑड्री हेपबर्न के हाथों लिया पुरस्कार
कई कथाएं कई कविताएं ,
गढ़े साहित्यिक चरित्र हजार ।
विश्व में दिला भारतीय फिल्मों को पहचान ,
दिखाया फिल्म उद्योग को नया द्वार ।
पद्मभूषण दादा साहेब फाल्के सहित,
मिला सर्वोच्च भारत रत्न पुरस्कार।।
6
सावन की फुहार
सावन की आई फुहार,
है पिय का इंतजार।
नहीं लौटे भरी बहार,
कैसे करूँ श्रृंगार।
बाग कलियाँ खिल रही हैं,
मधुप से मिल रही हैं।
सुरभि यहॉं पर बिखराती
हवा भी बह रही है।
नैना लगे मेरे द्वार।
कोयलिया कुहक रही है
बोली कसक रही है।
झूला डाल सखी झूलें,
चूड़ी चमक रही है।
सखि मौसम छाया खुमार,
बोली सुनते ही पिऊ की
बढ़ती धड़कन मन की।
कागा तू संदेश ला दे,
मिटे वेदना तन की।
विरहा का उतरे बुखार।
7
नई नारी नई सोच
नई नई नारियों का
नया ये फसाना है।
चूड़ी,कंगन बिछुवा छोड़ो
पहले देश सजाना है।
करना है श्रृंगार तो पहले
भारती का करना।
पर्यावरण की करो सुरक्षा
दे,स्वच्छता का गहना
वायु प्रदूषण-जल प्रदूषण
दूर भगाना है
चूड़ी ,,,,
भ्रष्टाचार से करो लड़ाई
नैतिकता अपनाओ।
शिक्षित करके बेटे-बेटी
मार्ग प्रशस्त कराओ।
विकास अपने देश का देखो
हमे कराना है।
चूड़ी,,,
भारत की महिमा ये भाई
नारी सीता यहाँ कहाई।
पूजी जाती नारी जहाँ पर
लक्ष्मी खुद ही चल के आई
देश मे अपने हमे इतराना है
चूड़ी,,
8
तुम
मेरे गीतों की मीता हो,
तुम्ही तुलसी की सीता हो।
खिला चेहरा गुलाबों सा,
पावन हो पुनीता हो।
मिले जो एक झलक तेरी,
तो खिल जाता है मन मेरा।
चल दूँ उस डगर जिस पर
इशारा हो नयन तेरा।
मेरी रामायण हो तुम तो,
तुम्हीं तो मेरी गीता हो।
मेरे…….!
तेरे जलवों से मिलती है
आभा चाँद – तारों को।
तेरी ही आरजू लेकर
खुशी मिलती सितारों को।
है थामे नूर चेहरे पर
बड़ी तुम तो विनीता हो।
सताये धूप बिरहा की
तो बदरी सावनी बनना ।
जो मन मे आये कह देना
मगर तुम दूर मत रहना।
बिन तेरे रहे कैसे,
तुम्हे जो देख जीता हो।
मेरे गीतों की……..!
9
हे शूरवीर वीर तुमको नमन !
हे शूरवीर तुमको नमन
हे मातृभूमि तेरा वंदन।।
तेरी शहादत को नमन
ओझल तुम हमसे हो गए
माटी में ही जन्मे और ,
माटी में में मिल कर सो गए।।
रहो सावधान जयचंदों से
जयचंद कभी न बन जाना।
वीरों के गौरव की गाथा खुद ,
सुनना औरों को सुनाना।।
रखना देश का मान सदा,
अपने ध्वज का कर अभिनंदन।
हे शुरवीर,,,!
विश्व गुरु बनना है तुमको ,
तो सद्कर्मों की राह चलो।
अविजित अटल रहो देखो और
देश भक्ति से नहीं टलो।
अपने देश की माटी को,
मानो माथे का चंदन।
हे शूरवीर,,
नवयुग का निर्माण करो।
हाथों नई पतवार धरो।
विकास क्रांति की ज्वाला से,
हर पथ रौशन तुम आज करो।
तुम ही देश की आशा हो
करना तुमको ही है क्रंदन
हे शुरवीर…..!
(यहां क्रंदन का अर्थ ललकार है
रोना नही)
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